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॥ श्रीजिनेश्वराय नमः ॥ श्रीसशुरुन्यो नमः॥ ॥अथ श्री हंसराज वत्सराजनो
रास प्रारंनः॥
॥ दोहा ॥ आशावरी राग ॥ ॥श्रादीश्वर श्रादे करी,चवीशे जिणचंद ॥सरसती मन समरूं सदा, श्रीजयतिलक सूरींद ॥१॥ सद्गुरु पय प्रणमी करी, पामी गुरु आदेश ॥ पुण्य तणां फल बोलगुं, कहीशुं हुं लवलेश ॥२॥ पुण्ये शिवसुख संपजे, पुण्ये संपत्ति होय ॥राजाधि लीला घणी, पुण्ये पामे सोय ॥३॥ पुण्ये उत्तम कुल हुवे, पुण्ये रूप प्रधान ॥ पुण्ये पूरुं श्राउ, पुण्ये बुकिनिधान ॥४॥ पुण्य उपर सुणजो कथा,सुणतां अचरिज थाय॥हंसराज वत्सराज नृप, ढुवा पुण्य पसाय ॥५॥ ॥ ढाल पहेली ॥राग धन्याश्री॥कोश्या कामिनी ___ एणी परे विनवे जी ॥ ए देशी ॥
॥ जंबुद्वीपे भरत वखाणीए जी, पुरपयगण प्रधान ॥ अलकापुर समोवम ते जाणीए जी, वृद तणुं नहीं मान ॥ जंबु० ॥१॥ जाइ जु ने चंपो
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