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( १०८ )
पुण्य तणे परकार | म० ॥ १५ ॥ धनदत्त घरणी कंतने रे, मांड्यो मनशुं द्रोह ॥ म० ॥ कंत जणी देवी करी रे, धो बहेरो दोह ॥ ० ॥ १६ ॥ इम चरित चूली कीयुं रे, बीजी न करे माय ॥ म० ॥ ते ब्रह्मदत्त राजा हुवो रे, पुण्य तणे सुपसाय ॥ म० ॥ १७ ॥ एम चरित्र नारी तणां रे कहेतां नावे पार ॥ म० ॥ इण राणीने मारशुं रे, जिम सहु माने कार ॥ ० ॥ १८ ॥ सर्व गाथा ॥ ८८६ ॥ ॥ दोहा ॥
॥ राजा खांडं काढीयुं, राणी मारण काज ॥ कुमर बेखामा पड्या, बोमी जे महाराज ॥ १ ॥ ए राणी लीलावती, मात समी ए माय ॥ नारी - हत्या बे नारकी, तो किम कीजे राय ॥ २ ॥ लीलावती परसादथी, मेली बहुली आाथ ॥ चित्रलेखा परणी धरणी, आई मिल्या नरनाथ ॥ ३ ॥ अजयदान देवामीयुं, हंस ने वराज ॥ पीयर परही मोकली, राखी सघली लाज ॥ ४ ॥
॥ ढाल पन्नरमी ॥ ढोलनी देशी ॥ ॥ नरवाहन राजा हवे || सोजागी सुंदर || पाले सुखमां राज ॥ सो० ॥ राणी हवे हंसावलि ॥ सो० ॥
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