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________________ (एए) श्राय ॥ मनह मनोरथ उपजे, मनही मांहिं स माय ॥२॥ मनकी आशा पूगशे, मिलशे ना रि संयोग॥ दिन वलियां वलसे सहु,टलसे विरह वियोग ॥३॥ गाहा ॥ आसा न दे मरणं, विणा मुयेण न लपये पेमं॥अवसरजे नमरिजर, तो लऊसामी सुंदरिहो॥४॥आसा समुह पडि यं, चिहुं दिसिचाहंति विम्मला नयणी ॥ हे कोश समडो, जो बाह विलंबणं देश ॥ ५॥ दोहा ॥ बाह विलंबण जे दीये, सहुथी ते समरब ॥ र यणायर बुडंतडा, कवण पसारे हब ॥६॥ध न सो दिन वेला घडी, सुंदरि मुख सुविहाण ॥ निरखिश तारालोचनी, जीवत जन्म प्रमाण ॥ ॥७॥ श्राशा अमरी अनेक युग, मरि मरि गये ज्यु लाख ॥ पुष्य मरे परिमल रहे, लोक नरे ए साख ॥ ७॥ हवे सुणजो राणी तणो, एक मना अधिकार ॥ ब्राह्मण घर जिणि परे रहे,ते विरतांत विचार ॥ ए॥ Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.005392
Book TitleHarichand Rajano Ras
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShravak Bhimsinh Manek
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year1897
Total Pages114
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati
File Size7 MB
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