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करो कोय gamaase.ait.org ,मीने, दूध पीयो सहु कीय ॥ २३ ॥ नवरस नेद वखाणशु, डे मुफ मन कबोल ॥ कनकसुंदर एक चित्तशृं, सरस कथा रंगरोल ॥ २४ ॥ नवरस नामानि ॥२सोकः॥ श्रृंगारकरुणाशांता, बिजत्स जय मनु तं॥हास्य वीरं रसं रौउं, रसैतानिनवान्यपि ॥२५॥
ढाल पहेली ॥ राग केदारो ॥ पैसा सोदा ___ गरकुं चलण न देणुं ॥ ए देशी ॥
॥ श्रीजिन त्रिजुवन मंमल माया, मध्य मा नव जन जवन वसाया ॥ सो अपरंपर अलख निरंजन, सुर नर नाग जना मन रंजण ॥ ए आंकणी ॥१॥ सोअपरंपरं ॥ आदि पुरष श्री आदि जिणंदा, दीपे ज्योति सरूप दिणंदा॥ ॥ सो ॥ मीन तणा पग नीर वहंता, पंखी मारग गगन नमंता ॥२॥ सो० ॥ नाद श ब्दकुं वाकी डाया, अनहद ब्रह्मम पिंम समाया ॥ सो ॥ आदि पुरुष परमेश्वर ऐसा, ज्योति स रूपी दीपे जैसा ॥ ३॥ सो ॥ तेहनी झछिनो
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