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( 49 ) विधिना च कृतः श्रेष्टो यो निःश्रासो विनिर्मितः ॥ अर्द्ध दुःखं समं येन, गृह्णीयाद्विरही जने ॥ ९ ॥ ॥ दोहा ॥ विरही जन सहको मिले, यशाने आधार ॥ मिल डुली वल्लही, स्वहस्तें वेची नारि ॥१०॥ ॥ ढाल नवमी ॥ राग मारु || प्रीत लागी हो कान्हा, प्रीत लागी हो ॥ ए देशी ॥
॥ मिलण डढेलो हो, वालहि मिलण दोहेलो हो ॥ मिला दो हिलो माननी, नहीं ताने सो हिलो हो ॥ १ ॥वाल हि० ॥ एक दिन मोकुं सोहना, वर सेज विद्याया हो ॥ रंग रमणी गयगामिनी, जरसुं उर लाया हो ॥ २ ॥ वा० ॥ एक दिन आज इस्या जया, सुतां समसाणे हो ॥ सेज बिठाया काजका, मध्यरात्रि मसाणे हो ॥ ३ ॥ वा० ॥ एक दिन मोकुं सोहता, दीवान जुडंता हो ॥ ग यंद पट्टाधर घूमता, आगें मल्ल लडता हो ॥ ४॥ ॥ वा० ॥ एकदिन आज इसा बन्या, वरते जयं कारि हो ॥ नूतलडे रौद्रामणा, व्यंतरदे जारी
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