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(४) फिरि देखती रे, जाती रोती नार ॥ रोतें रोयां पंखीयां रे, सघलाही तिण वार ॥५॥ है ॥ हो वालिमजी कंतजी रे, हा हा प्राण आधार ॥ कब मुख पेखीश प्रीतमा रे, मन मोहन जरतार ॥६॥ है ॥ वनिता पहोती वेगला रे, बाडी श्रावी जीत ॥ध्रसकेशुं धरणी ढल्यो रे, राय थयो चलचित्त ॥ ७ ॥ है ॥ लांबी बाह पसा रीने रे, मूकण लाग्यो घाह ॥ प्रिया प्रिया मुख उच्चरे रे, विलवंतो नरनाह ॥ ७॥ है ॥ केमें इंमा फोडीयां रे, सरोवर जांजी पाल ॥ के तरु कूपल तोडीयां रे, तोडी नीली माल ॥ ए॥ है ॥ राखी थापण पारकी रे, दीधां कूडांक लंक ॥ माडीशुं पुत्र विद्रोहीयां रे, के में कीधा वियोग ॥ १० ॥ है० ॥ के परनारी अपहरी रे, के किधी परतांत॥के डं पुष्ट जे पापीयो रे,जीम्यो आधी रात ॥ ११ ॥ है ॥ के में ब्राह्मण मारी या रे, के में मारी गाय ॥ के में साधु संतापी या रे, के में दीधी लाय ॥१५॥ है ॥ के में
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