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( २० )
॥ पा० ॥ बिहुं श्रखे श्रांसु ऊरे ॥ मे० ॥ नामे शीश नरिंद ॥ ५ ॥ पा० ॥ राज समर्पु माहरुं ॥ ॥ मे० ॥ हुं जाउं एकपोत ॥ पा० ॥ अंग करो मुऊ निर्मलो ॥ मे० ॥ दूर निवारो बोत ॥ ६ ॥ ॥ पा० ॥ चेलो गुरुने वीनवे ॥ मे० ॥ वचन सुपो ऋषिराज ॥ पा० ॥ पाप उतारो एहनुं ॥ ॥ में० ॥ श्रापे सहु इद्धिराज ॥ ७ ॥ पा० ॥ राज दीयो तापस जणी ॥ मे० ॥ शिष्य बोल्यो वलि एक ॥ प० ॥ माहारी हरणी किणे हणी ॥ ॥ में० ॥ प्रज्वालुं सुविवेक ॥ ८ ॥ प० ॥ राय मनावें तेहने ॥ में० ॥ देशुं लाख दिनार || पा० ॥ खस्ति जणावी एटले ॥ में० ॥ है है कर्म विकार ॥ ए ॥ पा० ॥ मंदिर राजा आवियो ॥ मे० ॥ बारीमांहे होय ॥ पा० ॥ राजा हरिचंद्र शुं कियो ॥ ० ॥ लोक कड़े सहु कोय ॥ १० ॥पा० ॥ पट राणी पासें गयो ॥ ० ॥ उनी आगल आइ ॥ पा० ॥ नारी सुतारा वीनवे ॥ में० ॥ प्रीतम चिंता कांइ ॥ पा० ॥ ११॥ चिंता सायर जेटली ॥ में० ॥ सुंदरि सां
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