SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 111
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ (१०) चारित्र पवित्र प्रकाश ॥ मुनि ॥ वडो० ॥५॥ पंच महाव्रत सूधा आदरे, थयो साधु निर्यथ ॥ मुनि ॥ बावीश परिसह डुक्कर ते सहे, पाले मुक्तिनो पंथ ॥ मुनि ॥ वडो ॥३॥ प्रतिबोधी राणी तारा लोचनी, चारित्र पीयुने रे साथ ॥ मुनि ॥दीधी प्रनु अमृत रस देशना, केवल आण्यो रे हाथ ॥ मुनि ॥ वडो ॥४॥ चारित्र पाले चतुर महासती, शीयल संयम स तसंग ॥ मुनि० ॥ पंच महाव्रत पाले परवडा, मुक्ति सधे मनरंग ॥ मुनि ॥ वडो ॥५॥ह रिचंद उग्रविहार क्रिया करे, उक्कर तपने रे ना य॥ मुनि ॥ काउस्सग्ग साधे मुनि खट मास ना, उपसर्ग कठिन सहाय ॥ मुनि ॥ वडोम् ॥ ॥६॥ उमासी पण तारालोचनी, उक्कर तपह तपंती ॥ मुनि ॥ आगे सहती उपसर्ग आरि या, आठेही कर्म खपंती ॥ मुनि ॥ वडो॥ ॥७॥ मुनिवर मास उठे हुवे पारणे, आवे अ योध्या एकवार ॥ मुनि ॥ दोष बेतालीश मुनि Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.005392
Book TitleHarichand Rajano Ras
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShravak Bhimsinh Manek
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year1897
Total Pages114
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati
File Size7 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy