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________________ (१०४) पडे घडे जिम बांट न लागे, उन्हे रंग मजीव रे॥ तिम मुनिने वचने नृपपत्नी, प्रतिबूजे नंही धीठ रे ॥ मो० ॥ ए ॥ ढाल रसाल कही ए बीजी, कनकसुंदर मुनिराय रे ॥ हाव नाव राणी बहु मांमे, मुनिवर मन न सुहाय रे॥ मो० ॥१०॥ ॥दोहा॥ __॥ बोली राणी पापणी, वचन सुणो कृषि राज ॥ एकंते तुमने लह्या, सही न बोडं आज ॥ ॥१॥षी जंपे माता सुणो, चले मेरु गिरि राय ॥ शील अमारुं न वि चले, वातां घणी बनाय ॥२॥ काम सुब्ध कामिनी कहे, राती विषया रस्स ॥ तु मने हुँ विण नोगव्यां, बोडु नहीं अवस्स ॥३॥ ॥ ढाल ॥ त्रीजी राग सारंग मल्हार ॥ ॥ मालाकिहां रे ॥ ए देशी॥ ॥ हुँ नही बोडुंगी रे ॥ ए आंकणी ॥ नैन न चावत व्रत जमावत, बाह बुवावत रे ॥राग या लापत यंत्र मचावत, शीस घूमावत रे॥हुं० ॥ ॥१॥आलस मोडत करके काहाडत, उर उ Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.005392
Book TitleHarichand Rajano Ras
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShravak Bhimsinh Manek
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year1897
Total Pages114
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati
File Size7 MB
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