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________________ (00) पम घणां चंपक कुसुम मुकुट सिर जरे, खंडोखली जल क्रीमा करे || १ || विमल श्री बिहु नवला नेह, बे सिणगारयां दीपे देह; बिदु मन वसी जिनवर धर्म, उदयवंत बे दिनां कर्म ॥ ए८ ॥ बे यौवन मे जोगवे, वे मनवंबित सुख जोगवे, घणा दिवस इम वोल्या जिसे, कुटुंबा पट्टण गया तिसे ॥ एए ॥ खं खंड मति बे निर्मली, श्रोता सांजलज्यो ए जली, विमल मंत्रिने रासे जाए, एटले पंचम खं वखा ॥ १०० ॥ सर्व गाथा ।। १२१ ॥ इति श्री पंकित लावण्य समय गणि कृते, श्री विमल मंत्रि प्रबंधे नव खंभे, सामुद्रिक कथित श्री लक्षण, ६४ कला विवरण, १० लिपि नाम कथन, ६ राग ताल संख्या, श्री वर्णन, कन्या निरिक्षण, पाणीग्रहणमहोछत्र, वस्त्राद्यनिधान, पट्टणवासाधिकारे, पंचम खम संपूर्ण ॥ Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.005391
Book TitleVimal Mantri no Ras
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShravak Bhimsinh Manek
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year1912
Total Pages180
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati
File Size10 MB
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