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________________ (१) श्रामणी, पानी मांडी मांडणी ॥ ५३ ॥ गम गम गश् कंकोतरी, आव्या सजान सवि मुंद. तरी; बेठ पांत खांत वेवडी, हाथ पाय धोया धुंसटी ॥ ५४॥ पहेला मेट्या मेवा बहु मुलि, खाजां लामु पडे कूरलि; दाल सुंदाली घृतनी नाल, सोल सालणांनी बांधी पाल ॥ २५ ॥ श्राव्यां घोल नरियां माटलां, नरि नरिने मेट्यां वाटला; वार्या कर करंबे करी, कर धोई जल कारी जरी ॥ ५६ ॥ पान फूल केवडो काय, सजान कीजे टाढा हाथ; चंदन चूया ने चांपेल, मंडप रंग वहावी रेल ॥५७ ॥ खुंप नों खुणालो खंत, तुंगन नेरी ढोल ढमकंत; मुकुटी असावे मोतीसरी, जश् कुंअर परणे सिसरी ॥ ५ ॥ मामा त्यां मामेकं करे, चाउ न चुके वीवाह वरे; साथे रथ घोडाना थाट, मोटा गामण वायण जाट ॥ एए ॥ वोले मंगल जे जांजणी, चंज मलि जेवी चांणी; विमल कुंअर वर चंचल चमे, उंचो अंब समाणो यो Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.005391
Book TitleVimal Mantri no Ras
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShravak Bhimsinh Manek
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year1912
Total Pages180
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati
File Size10 MB
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