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(R) ॥ खंड पांचमो ॥
॥ चोपा॥ वीरमती लागी हरखवा, लिथा साथि कन्या निरखवा; जे डाह्या लक्षणना जाण, सामुजिक बोल्यां थहिनाणा ॥ १ ॥ चाल्यां अति श्रांमबर करी, पुदता पट्टण श्रीदत्त घरी; निरखे कन्या- वली रूप, जो कन्या बकण सरूप ॥२॥
॥ हा॥ चंवदनि चंपक वनी, निरमस नयण विशाल; रामा राता अधर जस, संपति सुरक रसाल ॥ १॥ अंकुश कुंडल चक धज, मंदिर कुंजर कुंज; बत्र कमल हय जास कर, राउ तणे. घर रंज ॥२॥ जस कर रेखा रुथड), तोरणगढ आकार; वरि श्रावी, कुलदासने, राणि राज दूधार ॥३॥ पामे पति.नरपति
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