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________________ (१०) नाजे हरे नाचे रंन तिलोत्तम जोड, कुतिगि. थानां पहोंचे कोड ॥ ३३ ॥ पंच शब्द वाजे निसान, नगर सवे मुकाव्यां मान; लोक तणुं नवि लहिये पार, वस्युं नगर नव जोअण बार॥ ॥ ३४ ॥ मणि माणिक सोनानी कोड, जरीयां घर नवि दीसे खोम; राज लोक राजा थापीयो, पुण्यवस लोक पाटण आपीयो ॥ ३५ ॥ इंद चंद नर नायक तणां, आव्या वली वधावा घणा; उडी गूमी गयणि अनेक, तलीथा तोरण तणा विवेक ॥३६ ॥ देव कुंदनि जग वागी जाम, प्रगटथु पुण्यपाल तव नाम; वासी नगर लालि मन सी, पदम अहे जर वासे वसी ॥ ॥ ३७ ॥ कोश् नवि मागे नर कहि कन्हे, घर जश्ने कीजे विनये; मंदिर तेडी दीजे दान, जुर्व उत्तम युगतणुं मंमाण ॥ ३० ॥ वोक्ष्यां वरस सतर जो लाख, उपर सहस अठावीस लाख; काले कृतयुग आगे कयों, त्रेतायुग त्रिनुवन विसतयों ॥ ३५ ॥ लखमी लीला. दिन Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.005391
Book TitleVimal Mantri no Ras
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShravak Bhimsinh Manek
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year1912
Total Pages180
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati
File Size10 MB
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