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________________ ( १०५ ) करो, नही तो लेख लखी यो खरो; राय सरीसो नही संतोष, वली उपायो अधिको रोष ॥ ॥ वलता लेख लख्या पमवडा, बडे पीश्र श्राव्या बडा; धृष्टि लेख चिंता परहरी, वात तुरीनी बे पाधरी ॥ १० ॥ लेखा मस फांदे पाशे, लेशे धन वयरी तामशे; किशुं करे जो यति थाकलो, गाढो सबल सिंह सांकल्यो ॥ ११ ॥ कूरु रचाव्यां आगे ढेढ, वाघ माल मंडावी वेढ; पहिलं धुरि जो खाये खता, पढे जे कीजे उरता ॥ १२ दूर्जन हांसा करशे घणा, जाशे मोहत पितामद तणा, डुब्बल कन्नो राजा जीम, विषठे राज्य न रहीये नीम ॥ १३ ॥ जई मंदिर सामदणी करी, सांढ सोलसें सोवन जरी; पाखरि पंच सयां असवार, बीजा पंच बीजा पंच सदस तोखार ॥ १४ ॥ पायक सहस मख्या दस बार, अवर अनेरा वर्ण अढार; पोताना गज साथे लीध, बीजा तुरी माणा की ॥ १५ ॥ रथ वाहण उंटे नीसाण, रखत जर्यां साजेसा बाण; अंतेजर देहरासर Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.005391
Book TitleVimal Mantri no Ras
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShravak Bhimsinh Manek
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year1912
Total Pages180
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati
File Size10 MB
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