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रे॥१॥ वीर जिनेसर उपदिशे, सांजलजो चित्त लाइ रे ॥आतम ध्याने श्रातमा, कि मले सवि थाइ रे ॥वी० ॥२॥इति प्रथम अरिहंतपदपूजा समाप्ता ॥१॥ ॥ अथ द्वितीय सिपद
पूजा प्रारंनः॥ ॥ काव्यं ॥ इंजवज्रावृत्तम् ॥ ॥ सिघाणमाणंसुरमालयाणं ॥ ॥ नमो नमोऽणंतचनकयाणं॥
॥ तुजंगप्रयातवृत्तम् ॥ ॥ करी थाप कर्मक्षये पार
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