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॥ श्रथ बूटां फूलपूजा गाथा ॥
॥ उसरणो जिणपुर, परिमल मिलिया उरिकविह संगीया ॥ मुत्तामरेदिवो कुणजे, मरमल मिलिया उस्किविहसं ॥१॥ उवणेउ मंगलं वो, जिणाण मुहलावि जाव संचलिया ॥ तिन पवत्तण समए, तिय सेवी मुक्का कुसुम वुही ॥२॥ए पाठ कहीने प्रजुनी
आगल फूलो उगलवां. हवे श्राचरण तथा वस्त्रो लश्ने उत्जा उतां गाथा कहेवी, ते था प्रमाणे:
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