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फूल चढाववा. पड़ी थालमा खस्तिक करी बिंबनी स्थापना करवी श्रने धूप करवो. ते समये आ प्रमाणे पाठ जणवोः
॥अथ कलश ढालवा
समयनुं स्तवन ॥ ॥ इंछ कलशनर ढाले श्रीजिन पर ॥ इंछ कलश ॥ हाथो हाथ अमरगण आनत, खीर विमल जलधारे ॥ श्रीजिन पर ॥१॥ सुरवनिता मली मंगल गावे, नावत नाव महारे ॥ श्रीजिन पर
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