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पड़ी हाथ धोइ धूप कर्पूरादिक हाथने लगामवां, त्यार केडे जे पूर्वे कलशोने धो धूप थापी कंठे मौलीसूत्र बांधी उपर स्वस्तिक करी तेमां पंचामृत जरी, श्रदतोना ढगला उपर धारण करी तेनी उपर अंगलूहणां ढांकी धूप उखेवी तेजेमांना मात्र बेज कलशोने आसपास जलधारा दश्ने राख्या होय, पठी स्नात्रीयाना हाथमा स्वस्तिको करी सर्वे जणोए श्रेणिबफ उन्ना रहे, अने प्रत्येक स्नात्रीयाए
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