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थमां लश् उना थ" चं णमो अरिहंताएं० ॥ नमोहसिझा ॥" कहीने स्नात्रपूजानी पदेली पांखमी कहेवी, एम अनुक्रमे पांच पांखडी कही कुसुमांजलि पूर्ण करीने हाथमां चामर लश्ने तेने जगवंतनी उपर ढोलवो ॥ वस्तु ॥ “सयल जिनवर " श्री मामीने यावत् “वधाई वधाई थ अतीव" सुधीनो पाठ कदेवो, ते पूर्ण थया पडी चैत्यवंदन करवं. पली शकस्तव कही जयवीयराय सुधी जण.
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