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॥ तिहां राजा अश्वसेन महीमडल, दान खन जीपंत ॥ अति न्यायवंत दीसे नरनायक, वामादेवीकंत ॥३॥ हां रे सरगलोकथी चवीय सुरवर, उप्पन्नो कुल जास ॥ तिहां कृष्ण चोथे चैत्र मासे, एहवे अति उल्हास ॥ तिहां राणी पश्चिम रयणी पेखे, सुहणां चन्द विशाल ॥ तस कुखे अवतरशे जिनवर, जीवदया प्रतिपाल ॥४॥ ॥ अथ सुपननी ढाल उलालानी॥
॥ पहेले गयवर दीगे, मुफ
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