________________
॥अथ श्रीपार्श्वनाथ कलशः॥
श्रीसौराष्ट्र देश मध्ये, श्रीमंगलपुर मंगणो, छरित विहंगणो, श्रनाथनाथ, अशरणशरण, त्रिनुवन जनमनरंजणो, त्रेवीशमो ती. थंकर श्रीपार्श्वनाथ तेह तणो कलश कहीशुं ॥ ढाल ॥ हां रे वाणारसी नयरी वसेय अनुपम, उपम अवदधार ॥ तिहां वावि सरोवर नदीय कूपजल, वनस्पति अढार ॥ तिहां गढ मढ मंदिर दीसे अनिनव, सुंदर पोलि प्राका
Jain Educationa Interati@osonal and Private Usev@mw.jainelibrary.org