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(५३) ॥ १५॥ शीख किसी दीजें सुपुरुषनें, तुं चतुर सुजा ण ॥ पूरी ढाल थर बावीशमी, सुणो जिनहर्ष सुजा ण ॥ कम् ॥ १३ ॥ सर्वगाथा ॥ १५ ॥
॥दोहा॥ ॥शीख इसी सुणी रायनी, मसि कुमरी माय ताय ॥ चाली पीयुशुं सासरे, साथें सैन्य समुदाय ॥१॥ चर्मरतन मृन्मय तुरी, बेई कुमर सुजाण ॥ तिहाथी चाख्यो हित करी, करतो अखंम प्रयाण ॥२॥ अनुक्रमें धारापुरवरें, आव्यो जाणी राय॥ पेसारो कीधो घणो, नम्या तातना पाय ॥३॥ चरण नम्यां माता तणां, वहू सासुने पाय ॥ लागी विनय विवेकह्यु, श्रावी सहुने दाय ॥४॥ वहूयें सहुने मोहीयां, जाणे मोहनवेश ॥ देखीने लोयण ठरे, चाले गजगति गेल ॥५॥
॥ ढाल त्रेवीशमी ॥ निर्णय नगर सोहामणुं ॥वणजारा रे ॥ ए देशी ॥ ॥ अमरसेन अमरेशशुं पुण्य जोवो रे ॥ पाले राज्य अखंग हो पुण्य जोवो रे ॥ तेज वधे दिनदिन घणो पु०॥ नरेनूमियां दंग हो पु॥१॥ मांहोमांहे हित घणुं पु० ॥ पिता पुत्र एक जीव हो पुण्॥ ताव
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