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________________ ( ४२ ) रो कुमरी बापनें, सघलो काम ऊजाड्यो रे ॥ व ॥ ॥ १४ ॥ दोष किस्यो कहो बापनो, कुमरी थइ छाजा यो रे ॥ ढाल थइ ए अढारमी, सुपो जिनदर्ष सु जाणो रे ॥ ० ॥ १५ ॥ सर्वगाथा ॥ ३४८ ॥ ॥ दोहा ॥ ॥ कहे सहु एम राजवी, धूंबड माला मूक ॥ प्राणे पण बेशुं छामें, जीवयकी मत चूक ॥ १ ॥ बोले धूंबड बल करी, जलें जलें हो राय ॥ जाण्या ह ता बे पायना, पण दीसो बो चउपाय ॥२॥ बोलो बो चूका थका, एवो करो बो न्याय | आवी वर माला तजे, ते मूरख कहेवाय ॥ ३ ॥ प्राणे में लीधी नयी, खुशी थईने एह ॥ घाली तो मुज शिरसटे, ब्यो क होय जेह ॥ ४ ॥ एवी मतिसारु तुमें, केम पालो बोराज ॥ वात इसी करतां थकां नावे तुम नें लाज ॥ ५ ॥ होठ से रीशें जरया, ए धुंबड कुण मात्र ॥ बोले हवो करो, करो घात ए वात ॥ ६ ॥ कुपो रूप बोले कह्यो, मारण उठ्या दास ॥ घोडो चांप्यो सामहो, नाठा पामी त्रास ॥ ७ ॥ ॥ ढाल उगणीशमी ॥ कडखानी देशी ॥ ॥ मानना गाडला सैन्यना लाडला, क्रोध जरी For Personal and Private Use Only Jain Educationa International www.jainelibrary.org
SR No.005387
Book TitleRatribhojan Pariharak Ras
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShravak Bhimsinh Manek
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year1895
Total Pages66
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati
File Size5 MB
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