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(७)
॥ ढाल उगणत्रीशमी॥ ॥ चांदाने चाषणे हो, हंजा मारु गुमियां उमा वे ॥ कां गुमियांरी दोरी प्यारी हो लागे, नोली नणदीरो वीरो ॥ कमधज कह्यो न माने, कह्यो न माने हो॥वाला मारा कह्यो न माने गए देशी॥राजाने देखीने हो.कामणी कमी बकि जपावे ॥साद करी करी नाहने तेडे, अहो लाल विदेसी मित्ता, माहरे क्षण सरवरियें पधारो॥ हीचोले हिंचीने हो, पंथी माहरा अरज करुं बुं ॥ तार पड़ी तुमे वेह जोहो पाणी ॥ ॥१॥पंथीमा पंथने हो, पंथी मारा रखे रे वता॥ दीसो बो कोश् प्रेम पियारा ॥ अ॥ वाटमली वोली ने हो ॥ पंथी० ॥ मुफ पधारो ॥ श्रादू ने अवलू कांश विचारो ॥ अ॥२॥ आगले जाता हो ॥ श्री० ॥ इहां हिज आवो ॥ पगले बे चारे पगसुंहोसे मेला ॥ ॥ श्म किम वनमें हो ॥ पंथी॥जुल मा जमो बो ॥ किणे कामणिये कस्या श्म गहिला ॥ अ॥३॥ वातमीयें वेधाण हो ॥ पंथी० ॥ नृप चित चिंतें, मुझने साद करे कुण नारी ॥१०॥साम णिना सरिखो हो ॥ पंथी० ॥ स्वर ते न दीसे ॥ ए तो असेंधो साद डे नारी॥ ०॥॥ वाणिने
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