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________________ ( ११ ) रे, रहिसुं सदा इ ठगेर ॥ तिहि जीनें जायसो रे, कतां किम वड़े सोर रे ॥ यो० ॥ ० ॥ ॥ नेहसुरडुम पालिने रे, नांखो कांई उच्छेद ॥ करुणा नीरें सिंचियें, पूरो एह उमेद रे ॥ यो० ॥ ० ॥ १० ॥ ढुं नही सही सकुं तुम तो रे, विरहो अधक्षणमात्र ॥ द्वाख ज्युं वेल्ली विबुटियें रे, जूरी कृश करे गात्र रे ॥ यो० ॥ ० ॥ ११ ॥ तनु कोमल मधुरी गिरा रे, दीसे वे प्रगट प्रसिद्ध ॥ तो कठणाई एवडी रे, हि यडे कहांथी लीध रे ॥ यो० ॥ ० ॥ १२ ॥ मनप करीने कुंलुं रे, मानो मुऊ मनोहार ॥ कोईकना मुख साहमुं रे, जुड़े जीवन आधार रे ॥ यो० ॥ ४० ॥ ॥ १३ ॥ यति तायो केम पूरवे रे, नेह थयो जिहां एम ॥ नाखी विरहयो धिमा रे, नासी जासो केम रे ॥ यो० ॥ ० ॥ १४ ॥ कूमो खाल चडावीने रे, जासो तुमे महाराय ॥ दाढी हाट्यानो किस्यो रे, मांड्यो मुजयी न्याय रे || यो० ॥ ० ॥ १५ ॥ हुकम करो तो परणवा रे, जाऊं करुणागार ॥ कहो तो न जाऊं इहां रहुं रे, कहो ते करिये विचार रे || यो० ॥ ० ॥ ॥ १६ ॥ केम चाले तुम हव्यां रे, वीनवे इम नूपा For Personal and Private Use Only Jain Educationa International www.jainelibrary.org
SR No.005386
Book TitleMantung Raja ane Manvati Ranino Ras
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShravak Bhimsinh Manek
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year1906
Total Pages132
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati
File Size16 MB
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