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________________ (६०) सयाण ॥ मन मानले ॥ क्या कुछ फिकर हे हृदय मकार, कहे चिंता युं दियुं बिडार ॥ म० ॥१॥ कहे तो तेरे आगे इंद, जकरपकर कर ल्याऊं बंद ॥ म॥कहे तो बकरीसें हराजं गजराज, कहे तो चिमी पें उमा बाज ॥ म॥२॥ कहे तो शशिकला सुर जमेर, तेरे आगे करुं ढमढेर॥तेरेमनमें होवे चाह, तो शशि पास गहा, राह ॥ म० ॥३॥ कहे तो लराजं हरिसे कुरंग, कहे तो ऊलट बहाउं गंगाम॥ कहे तो करुं सूरको चंद,कहे तो चंदको करिव्युं दिणं द ॥ म ॥४॥ इत्यादिक विद्या मुऊ पास, कहे तो करी दिखाऊं तमास ॥ म ॥ जो एक हूं में तेरी जीर, तो तूं होत हे क्यों दिलगीर ॥ म ॥ ५ ॥ दिलकी बात कहो धरी हूंस, जो न कहे तो तुक कू सूंस ॥ म ॥ तब योगणने कहे नूमीस, तो कडं जो न चढावो रीस ॥ म ॥६॥ कहेवा जीव धरे ने ईह, पण कहेतां नवि चाले जीह ॥ म॥ सामणि कहे तूं सुण बे राय, जैसी होए तैसी दे बताय ॥ म ॥ ७॥ नृप कहे मुंगीपट्टण गाम, राजा तिहां दलथंजण नाम ॥ म॥ पुत्री रतनवती नामे ए, मुऊ ऊपर पण की, तेण ॥ म ॥ ७॥ ते माटे Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.005386
Book TitleMantung Raja ane Manvati Ranino Ras
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShravak Bhimsinh Manek
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year1906
Total Pages132
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati
File Size16 MB
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