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॥५॥ अति श्राग्रह जाणी करी, रही योगण नृप पास ॥ जो जो धूतण धूतसे, देई देई विसास ॥६॥
॥ ढाल बावीशमी॥ मोतीमानी देशी ॥ योगण नृपनां बिहूं दिल मलि या ॥ जाणे पयमें पतासा जलिया, सामण चरि ताली धूताली ॥ राजकाज नृपें मूकी दीधुं ॥१॥ जाणे योगणिये कांई कामण कीg ॥ सामण चरिता ली धूताली, रामकी मतवाली ॥ ॥ए टेक ॥ नूप ति नोलो नेद न लेखे, धोलुं सघनु पय करी पेखे ॥ सा ॥ ते अवधूतण नृप मन नावी, जाणे अंगण गंगा आवी॥सा॥रा॥२॥दणमांसा एक आंखें हसाडे, दणमां नृपने पाय लगाडे ॥ सा ॥ दूध ने मांगनो न्याय देखाडे, वलि दणमें नूपतिने मारे ॥सा ॥रा॥३॥ क्षणमां नृपने तमाचे मारे, दणमां बाल परे बुचकारे ॥ सा ॥ जेम योगण लत्ता निर थाटे, तिमतिम पुरपति तलियां चाटे ॥ सा ॥ रा० ॥४॥ नरपति जाणे रखे मुहवाती, पंखणीनी परे उमि जाती ॥
साद्यं खमे धूतारीनो राजा, जिम खमे मंका घायने वाजा ॥ सा ॥ राम् ॥ ५ ॥ जे गुणिजन गुणिने वश पडिया, ते तो नंग जेम हीरे
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