________________
(५०) श्रलेख ॥ ए सब कूमी पुनीयां देख ॥ सा ॥६॥ कि सके माता किसके बाप ॥ जीव एकिला श्रापोआप ॥ सा ॥ योगकी युगति न जाने कोय, अगम अगोचर नेद है सोय ॥ सा ॥ ७॥ अतिआनंदमें जो दिन जाय, सो जीवितका सफल कहाय ॥ क्या ले श्राया क्या ले जाय, सब स्वार्थके बनेहि श्राय ॥ सा॥७॥रीऊयो महिपति निसुणी वाण, बोल्यो तिम वलि जोमी पाण ॥ सा॥ वीण वजामी गार्ड गीत, विनति मानो करिने प्रीत ॥ सा ॥ ए॥ नृप अति आतुर जाणी तेण, गाया गीत त्यां मधुर खरेण ॥ सा ॥ वली तिम मधुरी वजा वीण, नूपा दिक सहु थया लयलीन ॥ सा ॥ १० ॥ पण यो गिण लिखी चिंते नूप, दीसे मानवतीरे सरूप ॥ सा॥ कीधो रखे होए एह उपाय ॥ मुझने एणे लगामवा पाय ॥ सा ॥ ११॥ पण बहुजतने राखी तास, श्रावी न सके तजि आवास ॥ सा ॥ तिहां जई जोऊ करी गृहस्पर्श, करकंकणने शो श्रादर्श ॥ सा ॥१२॥ योगणे चलचित्त दीगो राव, जो जो केहवो खेले जे दाव ॥ सा ॥ नृप जोशे जई तेहि ज धाम, तेमाटे उठयानुं काम ॥ सा ॥ १३ ॥ यंत्र
Jain Educationa International
For Personal and Private Use Only
www.jainelibrary.org