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________________ (३५) जयें पनणी प्रेमसुं रे॥ सुंदर तेरमी ढाल ॥ ना॥ १७॥ ॥ दोहा ॥ ॥ मानवती कहे रायने, अहो जीवनश्राधार ॥ रामत मांहें वयण ए, कह्यां हसे अविचार ॥१॥ एहवे वयणे वाहा, नवि राखीजे रीस ॥ मूक्यो श्रा वाने हवे, खोले ताहरे संसि ॥२॥विश्वासी परणी तुमे, हवे दियो बो बेद ॥ ए पातक किहां बूटसो हृदय विचारो तेह ॥३॥ मुझसुं कां थोडे गुने, नेह विणासो कंत ॥ गोद बिनाइने कहुं, मत लियो अब ला अंत ॥४॥ जिम जिम लागुं बुं पगें, तिमथा उडो वीर ॥ लोहा बलता ऊपरे, किम बांटो बो नीर ॥ ५॥ तेगो राखो मियानमां, करो विचारी काज ॥ नहि चाले नारीथकी, मूठ नली वडराज ॥६॥ ॥ ढाल चौदमी॥ वीडीयानी देशी ॥ हारे लाल ॥ बालाना सुणी बालडा ॥ चमक्यो नूप तेवार रे ॥ लाल ॥ जाणी मूक्यो आकरो॥केणे खंध उपर जेम खार रे ॥लाल॥ महिणुं लहिये थापणुं ॥१॥ एहमा नही मीन ने मेष रे ॥ लाल ॥ जो मन तूं जाणे वृथा ॥ तो तं परगट पेख रे ॥ लाल ॥ ले॥२॥ त्रिवली निलाडे Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.005386
Book TitleMantung Raja ane Manvati Ranino Ras
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShravak Bhimsinh Manek
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year1906
Total Pages132
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati
File Size16 MB
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