SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 17
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ (१५) बोल ॥ चतुरनर ॥ किम ए बाला एम बोली गई, एहवा वयण निटोल ॥च०॥१॥सांजलजोहवे कौतुक नी कथा, चूंप करी चित लाय ॥ च ॥ जो जो लखित लेख न मिटे कदा, करे जो कोडि उपाय ॥ चणासां॥२॥ रूपें रूडी पण कूमी हिए, न्हानी पण विषकंद ॥च॥ अमृतरूपें विष दीसे अबे, जुर्ड जुर्म एहना रे फंद ॥च ॥ सांग ॥३॥ हूंसतो मनमा घणी राखे अने, मोटी मेरुसमान ॥०॥ हजी ए बाला उबरे ने हवे, निहई बिहुपान॥चणासां ॥४॥ श्रावे ने फीण हजी पय पाननां ॥ घाले बे ननबाथ ॥ च ॥वां सायर तरवो जुजेकरी,अचरि जए जगनाथ ॥च॥सांग ॥५॥ ए किम पीयुने पाय लगाउसे, त्रटकी बोली रे एह ॥च०॥ में तो पां चमे रूमी गणी हती, रूपवती गुणगेह ॥ चणसांग ॥६॥ पण ए रूप देखी नविराचिये, अधिको गुण सुप्रमाण ॥ च ॥ काम पडे कांई काम आवे नहि, गुण विण लालकबाण ॥च॥सां ॥७॥ दीधी खो म एकेकी रतनमें, दैवे थई निःशंक ॥च॥ खारोप योधि तरुणी कस्यो आकरो, शशिने दीधकलंक॥च० ॥सांगा॥ तिम ए घणुं ए बीजे गुणेनरी, पण अव Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.005386
Book TitleMantung Raja ane Manvati Ranino Ras
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShravak Bhimsinh Manek
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year1906
Total Pages132
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati
File Size16 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy