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(१०७) तिणिवार ॥ मा० ॥ श्राव्योउजेणीनो धणी रे, कुम ख ले परिवार ॥ मा ॥ खे० ॥ ११॥ ससरो ज मा बिहुँ मल्या रे, थरक्यो जितशत्रुराय ॥ मा॥ चित चिंते ए बिडं थकी रे, जीती केम ज वाय ॥ मा० ॥ खे ॥ १२ ॥ जो जाउं चंदेरीयें रे, युद्ध कस्याविण दोन ॥ मा॥ तो सहुको हासी करे रे, अने वली नीडु केणे मोड ॥ मा० ॥ खे०॥ १३॥ लिखित हसे ते थायसे रे, दत्री वट डोडे कोय ॥ माण्॥ मोटाथी हास्या जला रे, साहमुं शोना होय॥ मा॥ खे॥ १४ ॥ सैन्य लेश हुं श्रावियो रे, किण मुख जाजं फेर ॥ मा० ॥ पालो फिरे लाजे पिता रे, हमणा करीश बेहु जेर ॥ मा० ॥ खे ॥ १५ ॥ का यर ह्या न बूटियें रे, वेरी वस पमियांह ॥ मा० ॥ योगमाया ने जो पाधरी रे, करसे तो बाहनी बांह ॥ मा०॥खे॥१६॥श्म करे बेगेवालोचना रे, जितशत्रु नूपाल ॥ मा०॥ मोहन विजयें कही जली रे, जंगण चालिशमी ढाल ॥ मा० ॥ खे० ॥ १७ ॥
॥ दोहा ॥ ॥ दक्षिणपति उऊोणपति, ए बिहुँ एकण पास ॥ चंदेरीपति एकलो, नीर न कोई तास ॥ १॥ फोज
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