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________________ सरस घणी अंबराय ॥ सु० ॥५॥ गि॥ नगरीजजेणी जाणीयें लाल । अमरावती अवतार ॥ सुख सुखिया लोक तिहां वसे रे लाल । चोराशी बाजार ॥ ॥ सु० ॥ ६॥ गि०॥ राज्य करे तिहां राजीयो रे लाल । वैरिसिंह नूपाल ॥ सु॥ शूरवीर ने साहसी रे लाल । जीवदया प्रतिपाल ॥ सु०॥७॥ गि० ॥ सोमचंसानिध नारजा रे लाल । राणी गुणमणि खाण ॥सु०॥ राजाना मनमां वसी रे लाल । बोले मधुरी वाण ॥सुणाागिण॥ व्यवहारी मांहे वखाणीयरे लाल । धनदत्त शाह उदार ॥सु॥ जैन धर्मनी वासना रे लाल । नगर तणो शणगार ॥सुणाए॥ गि०॥ सत्यनामा नामें नामिनी रे लाल।शीलालंकृत देह॥ सुतस कूखें डोरु न उपजे रे लाल । मोहोटो अवगुण एह ॥ सु० ॥ १० ॥ गि०॥ पुण्यथ की ते पामशे रे लाल । अति उत्तम संतान ॥सु॥ पुण्यथी सवि सुख संपजे रे लाल । पुण्य नवे निधान ।सु ॥११॥गिण॥ देव गुरुनी बहु रागिणी रे लाल । कोमलजाति स्वन्नाव ॥सु॥ सावधान थ साचवे रेलाल। दान शीयल तप नाव ॥ सु० ॥ १२ ॥ गि०॥ Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.005384
Book TitleMangalkalash Kumar Ras
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShravak Bhimsinh Manek
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year1909
Total Pages94
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati
File Size8 MB
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