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________________ (११) ॥ दोहा॥ ॥श्रामी फरीफरी निरखीया,धन्य एहनोअवतार॥ बए सहोदर सारिखा, नहीं देखुं एहने अनुहार॥१॥ ॥ ढाल ही ॥ ॥धारणी मनावे रे मेघकुमारने रे॥ए आंकणी ॥ नयणे निहाले रे राणी देवकी रे, मुनिवर रूप रसाल ॥ लक्षण गुणे करीने शोचतारे, वाणी जेहनी विशाल ॥ नय० ॥१॥ जिणे घरथी ए पुत्र नीकट्या रे, शुं रह्यो होशे लार ॥ दीसंता दीसे घj सोदामणा रे, नल कुबेर अनुहार ॥ नय० ॥२॥ एणे अनुहारे रे माहरा राजमा रे,अवर न दीसे कोय॥ जो ले तो एक माहरो कृष्ण ने रे, एम मन अचरिज होय ॥ नय० ॥३॥ सीधुं सगपण कोश् दीसे नहीं रे, माहरु हवणां जेम ॥ सूधी खबरज को नवि पडे रे, एम किम जाग्यो महारो प्रेम ॥नय॥४॥ श्रावकनो साधुने उपरे रे, होवे बे धरम सनेह ॥ में घणा दीग साधु.पूरवे रे, झुंजाग्यो केम पूरव नेह ॥ नयण ॥५॥ जातां दोग राणी देवकी रे, घणुं थक्ष दिलगीर ॥ दियतुं फाटे तेहनु अति घj रे, नयणे विबूटे नीर ॥ नय० ॥६॥ स ॥ ए॥ Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.005378
Book TitleDevki Shatputra Ras
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShravak Bhimsinh Manek
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year
Total Pages50
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati
File Size5 MB
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