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(१०) धर्मनी थायो जी ॥ ए सुख जाएयां रे अमे तो कारिमां, कीधो मुगतिनो साथो जी ॥ मुनिः॥५॥ एहवां वयणां रे मुनिनां सांजली, देवकी करे विचारो जी ॥ बालक वयमां रे संयम दस्यो, धन्य एहनो अवतारो जी ॥मुनिः॥६॥ बप्पन कोमी रे माहेरी साहेबी, सामात्रण क्रोम कुमारो जी॥ दीग सघला रे माहारा राज्यमां, कोई नहीं इणे अनुहारो जी ॥मुनि०॥ ॥णे इण वयमां रे संयम थादस्यो, पाले निरतिचारो जी॥धन्य धन्य माता रे ताहरी कुखने, जाया रत्न अमूलक सारो जी ॥साधुजीना दरिशण दीगं राणी देवकी ॥ए आंकणी ॥७॥अंग उपांग रे सघलां सुंदरु, सौम्य वदन सुखशीशो जी ॥ कोली पातरां लीधां हाथमां, तनु सुकुमाल मुनीशो जी ॥ साधु ॥ए ॥ गज जेम चाले रे मुनिवर मलपता, बोले वचन विचारो जी ॥ राजकुमरनी रे दीजे उपमा, जाणे कोश् देवकुमारो जी॥साधु॥ ॥१०॥ धन्य धन्य माता रे जेणे ए जनमीया, दरशणे दोलत थाय जी ॥ नाम लीधाथी रे नव निधि संपजे, पातक पूर पलाय जी ॥ साधु० ॥११॥
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