________________
चंदराजानो रास.
३३
अर्थ ॥ राजा चंद लघुवयथी कामदेव जेवो शोजतो हतो. अने उदय गिरि उपर सूर्यनी जेम ते तख्त उपर दीपतो हतो. ॥ १ ॥ तेना दरबारमां गजेंद्रो मदजल रूपी काली घटाथी, अने दांत रूपी विजली थी मेघनी जेम उद्धत हता. ॥ २ ॥
सर पिचरकी, फीण अबीर लसंत ॥ दीप धमाल गुलाल गति, खेले तुरग वसंत ॥ ३ ॥ नृपमयंक वाणी सुधा, प्रजाकर्ण जिमसीप || वितथ मोती निपजे, सदा शरद् उद्दीप ॥ ४ ॥
॥
अर्थ ॥ तेना घोडा नासिका रूप केसरनी पीचकारीथी ने फीणारूपी बीलथी, हेषारव रूपी धमालथी ने वर्णरूपी गुलालथी वसंत खेलता होय तेम देखाता हता. ॥ ३ ॥ राजा रूपी चंद्रमांथी वारूपी मृत नीकली प्रजाना कर्ण रूपी बीपमां श्रावी सत्यरूपी मोतीने नीपजावतुं हतुं, तेथी शरतुनुं उद्दीपन युं हतुं ॥ ५ ॥
नितनित नवल नेटणां, मुख अगल दीयंत ॥ कीधां धान खला मनुं, तु श्रावे हेमंत ॥ ५ ॥ जयहिमयी श्रानन कमल, दाधावेपथु शीत ॥ नमी जे खावी नम्या, तिहां शिशिर सुपवित्त ॥ ६ ॥
अर्थ ॥ राजा चंदना मुख आगल नित्य नित्य श्रावतां नव नवां जेटणां रूपी धान्यनां खलां यवाथी हेमंत तु देखाती हती ॥ ५ ॥ जयरूपी बरफश्री मुखरूप कमलने संकोच करता अने शरीरमां शीतनी जेम कंपारो बोडता एवां नहीं नमनारा शत्रु यावीने नमवाथी शिशिर रुतुनो पवित्र देखाव तो हतो ॥ ६ ॥ नयपुर नचघर नचवनें, नही जक कोई न श्राध || अन्य देश राजा जणी, सदा दुरंत निदाघ ॥ ७ ॥ विलसे सुख नृपपद तथा, नित नित चंद भूपाल ॥ यतपत्र धारी थका, थयां ांग रखवाल ॥ ८ ॥
॥ बीजा देशना राजाउने नगर, घर छाने वनमां रही शकातुं नथी, तेथी तेजनी प्रत्ये हमेशां कुरंत ग्रीष्म ऋतु हतो ॥ ७ ॥ राजा चंद प्रति दिन राज्यपदनां सुखमां विलास करतो हतो. तेनी उपर वत्र धारी छाने अंग रक्षको बन्या हता ॥ ८॥
॥ ढाल
ग्यारमी ॥ ॥ कर्म परीक्षा करण कुमर चल्यो रे ॥ ए देशी ॥
पंमित पांचसे पूजित परषदारे, सवि सुरगुरु प्रतिरूप ॥ तवेत्ताते षट्शास्त्रनारे, गुणथी रंजित भूप ॥ पं० ॥ १॥ सौगत सांख्य जैन नैयायिकारे, वैशेषिक चार्वाक || निज निज युक्ति करे षट् दर्शनीरे, एकएकथी यार्वाक ॥ प० ॥२॥
॥ चंदराजानी परिषदामां पांचसो पंडित पूजाता हता, ते बुहस्पति जेवा ने अद्भुत षटू शास्त्रा वेत्ता हता. तेज॑ना गुणोथी राजा रंजित यतो हतो ॥ १ ॥ तेनी सजामां बुद्ध, सांख्य, जैन, नैयायिक, वैशेषिक, चार्वाक विगेरे पंकितो पोत पोतानी युक्ति करता हता, अने ते सर्वे षट्दर्शनी एक एकथी चडीयाता यता हता. ॥ २ ॥
Jain Educationa International
For Personal and Private Use Only
www.jainelibrary.org