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________________ चंदराजानो रास. ३२५ अर्थ ॥ महर्षिना गुणो काची रीते के पाकी रीते गावामां कोने लजा आवे ? कोश्ने आवे नही. गमे तेवी वांकी घनी रोटली होय परंतु नूख लागी होय तो ते खाधाथी नूख मटामे ॥ १५॥ अनेक गुणोना समूहनी युक्त अने तप गबना नायक-आचार्य श्री विजयसेन सूरि श्रया. जेणे चक्रवर्ति समान दिखीना पति अकब्बर बादशाहने प्रति बोध पमाडयो. ॥१६॥ तास चरण शत पत्र सुमधुकर, कीर्ति विजय उवकाया जी ॥ तास शिष्य कवि कुल मुख मंगन, मानविजय कवि रायाजी ॥ १७ ॥ तस पद सेवक मति श्रुत सागर, लब्धि प्रतिष्ट कहाया जी ॥ पंमित रूप विजय गुण गिरूया, दिन दिन सुयश सवायाजी ॥१०॥ अर्थ ॥ तेमनां चरण कमलने विषे उत्तम भ्रमर समान श्री कीर्ति विजय उपाध्याय थया. तेमना शिष्य, कवि कुलना मुखना शृंगार रूप श्रीमानविजय कवि राय थया ॥ १७ ॥ तेमना चरणना उपासक, मति ज्ञान अने श्रुतज्ञानना सागर तथा लब्धिए करी प्रतिष्ठित अने गुणमां गरिष्ठ एवा पंमित श्रीरूप विजयजी श्रया. जेमनो उत्तम यश दिवसे दिवसे सवायो अयो. ॥१०॥ तेदना बालक मोहन विजये, अगेतरसो ढाले जी ॥ गायो चंद चरित्र सुरंगो, चरित्र वचन परनाले जी ॥ १५ ॥ कीधो चोथो नम्बास संपूरण, गुण वसु संयम (१७७३) वर्षे जी ॥ पोस मास सित पंचमी दिवसे, तरणिज वारे हर्षे जी॥२०॥ अर्थ ॥ तेमना शिष्य मोहन विजयजीए एकसोने आठ ढाले करी, पूर्वना चरित्रने अनुसारे श्रा चंद राजानु उत्तम चरित्र गायुं ॥ १५॥ आ चोयो उदास हर्ष सहित संवत १७७३ ना पोस सुदी एअने रविवारना रोज संपूर्ण अयो.॥२०॥ राज नगर चोमासुं करीने,गायो चंद चरित्र जी ॥ श्रवण देशश्रोतासांजलशे, थाशे तेह पवित्रजी ॥१॥ जे कोश नणशे गणशे सुणशे, तस घर मंगल माला जी॥ दिन दिन वधती वधती थाशे, निर्मल कीर्ति विशाला जी ॥२॥ अर्थ ॥ राजनगर ( अमदावाद ) मां चातुर्मास करीने चंद राजानुं चरित्र वर्णव्यु. जे श्रोता ध्यान पूर्वक सांजलशे ते पवित्र अशे ॥ २१॥ जे कोइ था चरित्र नणशे गणशे तथा सांजलशे तेने घेर मंगल माला अशे. अने तेनी कीर्ति दिवस दिवसे वधती वधती निर्मल अने विस्तीर्ण अशे. ॥ २२॥ अधिकुं उद्धं जे कहे वाणुं, मिला उक्कड तेह जी ॥ ध्रुव जेम अचल हो जो धरणि तल, चंद तणा गुण एहजी ॥२३॥ अर्थ ॥ आ चरित्रमा माराथी जे कांई न्यूनाधिक कहेवायुं होय ते संबंधी हुँ मिचामि उक्कड मागुं ; अने चंद राजाना गुणनुं आ चरित्र पृथ्वी उपर ध्रुवना तारानी जेम अचल रेहेजो एम श्बु .॥५३॥ Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.005375
Book TitleChand Rajano Ras
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShravak Bhimsinh Manek
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year1905
Total Pages396
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati
File Size17 MB
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