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________________ चंदराजानो रास. ३१३ अर्थ ॥ चंद राजाए श्री मुनि सुव्रत स्वामिना चरण कमखमां नमस्कार कर्यो. एवी रीते मोहन विजयजीए चोथा उवासमां उगणत्रीसमी ढाल रस युक्त कही. ॥२१॥ ॥दोहा॥ जिन वाणी निसुणी करी, चंद थयो बहु दक्ष ॥ मिटि ब्रान्ति नयणे निरखि, पूरव जव प्रत्यद ॥१॥ कर जोडी बोनी कपट, तोडी माया फंद ॥ दोमी नावेथी नमे, श्री श्री ज्ञान दिणंद ॥ ॥ अर्थ ॥ जिनेश्वर नगवाननी वाणी सांजलीने चंद राजा बहु डाह्यो थयो, उहापोह करतां जाति स्मरण ज्ञान अतांज पोतानो पूर्व नव प्रत्यक्ष देखतां शंका टली ग॥ १॥ कपट विना-सरल अंतःकरणथी हाथ जोडी तथा मायानी जाल त्रोडीने शीघ्रपणे श्री ज्ञान सूर्य रूप जिनराजने लावधी नमस्कार करवा लाग्यो. ॥२॥ तुज जेवो तारक मये, नव सागरनो पार ॥ जो स्वामि पामुं नही, तो मुज कवण श्राधार॥३॥कीधो मुज पोता तणो,देखामी नव नीति ॥ हवे प्रज्जु मुजथी पालवी, पोता वटनी रीति ॥४॥ अर्थ ॥ हे जिनराज! जवरूपी सागरनो पार पमाडनार तमारा जेवा तारक प्राप्त श्रया परी जो हुँ संसार समुज्नो पार पामुं नहीं तो पनी मारे कोनो आधार के ? ॥ ३ ॥ मने संसार संबंधी पडतां मुःखोनुं स्वरूप बतायी जवथी बीतो करी पोतानो बनाव्यो माटे हे प्रनु ! हवे पोतापणानी रीति पण पालवी पडशे. ॥ ४॥ पूरे गज पाला दवे, साहामा चाले मीन ॥ जल पण पोतावट गणे, नगणे दीन श्रदीन ॥५॥ जिन कहे देवाणु प्रिये, मा पडि बंध करेह ॥ अनुमति ले कुटंबनी, चारित्र चित्त धरेह ॥६॥ अर्थ ॥ नदीना पूरमां हाथी घसमा जाय अने मामला सामे पुरे चाले एवं बने में ज्यारे जल पण पोतापणुं गेमतुं नथी, तो आप जेवाए दीन के तवंगर नहीं जोतां पोता पणुं साचव, जोइए ॥ ५॥ श्री जिनराजे कयुं के हे देवाणु प्रिय ! चंदराय ! प्रतिबंध करो नहीं. कुटुंबनी संमति लश्ने चारित्र हृदयमां धारण करजो. ॥६॥ करी प्रज्जु चरणे वंदना, श्राव्यो नूपति गेह ॥ चरण करण गुण उपरे, प्रगट्यो पूरण नेह ॥७॥ अर्थ ॥ मनुना चरण कमलमां नमस्कार करी राजा जेना हृदयमां चारित्र धर्म उपर संपूर्ण प्रेम उत्पन्न अयो: एवो, पोताने घेर श्राव्यो. ॥ ७॥ ॥ ढाल ३० मी॥ ॥थिर थिर रे चंदला मकरिश विदाएं ॥ ए देशी॥ देवी गुणावली प्रेमला लली, ए बेहु चंदे तेडी रे ॥ मांडी एकांते वैराग्यनी Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.005375
Book TitleChand Rajano Ras
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShravak Bhimsinh Manek
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year1905
Total Pages396
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati
File Size17 MB
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