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चंदराजानो रास.
मिलशे वली, संशयनो इनार ॥५॥ यया यशे जे थाय बे, जे
जे जगत् स्वाव ॥ ते प्रभुथी बाना नही, तमे जवसागर नाव ॥ ६॥
अर्थ ॥ जे खुलासो होय ते ते सर्व वृत्तांत हे त्रण जगत्ना आधार रूप प्रजु ! मने शिघ्र जणाववा कृपा करो. या मारा संशयाने दूर करनार आपनी समान मने बीजो को मलनार बे ॥ ९ ॥ श्रा जग त्ने विषे जे जे वस्तु स्वभाव थया बे, थाय बे ने थशे ते सर्वे हे प्रभु ! आपनाथी प्रतुन्न नथी. आप तो संसार समुद्रमां नाव बो. ॥ ६ ॥
एहवी नृपनी विनती, अवधारी अरिहंत ॥
चंदादिकना पूर्व जव, एम उपदेशे अनंत ॥ ७ ॥
अर्थ ॥ ए प्रमाणे चंदरायनी विनंति श्रीमुनि सुव्रत परमात्माए सांजलीने चंदराय प्रमुखना पूर्व जवनो वृत्तांत विस्तारथी प्रभु प्रकाशवा लाग्या ॥ ७ ॥
॥ ढाल २३ मी ॥
॥ रहो रहो रहो रहो वालदा ॥ ए देशी ॥
जंबुद्वीपना जरतमां, वैदर्ज देश प्रसिद्ध ॥ लाल रे ॥ वासुगे निज शिरे जेहने, मणि मानीने लीध ॥ ला० ॥ १ ॥ जयो जयो ज्ञान जिदनो, विधि दर हरिनो स्यो नाप ॥ ला० ॥ सकल मरण गज चरमां, या निमग्न परिमाण | ला० ॥ जय० ॥ २ ॥
यर्थ ॥ जंबुद्दीपना जरत क्षेत्रमां वैदर्ज नामनो प्रसिद्ध देश बे. ते जाणे शेष नागे तेने मणिरूप धारीने पोताना मस्तक उपर धारण कर्यो होय तेवो शोभे बे. श्री जिनराजनुं ज्ञान जयवंतु वर्त्ते बे. ब्रह्मा, विष्णु छाने शंकरनुं ज्ञान तेनी पासे शा हिसाबमां बे. जेम हाथीना पगलामां सर्व प्राणी मात्रना पगला समाइ जाय ते निराजना ज्ञानमां बीजा सर्वना ज्ञाननो समावेश यइ जाय बे. ॥ १ ॥ २ ॥
तिहां नगरी तिलकापुरी, मदनज्रम जिहां नूप ॥ ला० ॥ तस रि गिरिरिए वसे, जेम जल ग्रीष्मे कूप ॥ ला० ॥ ज० ॥ ३ ॥ कमल माला तस गेनी, जेनी स्तुति न कराय ॥ बा० ॥ एहनी देहनी सौम्यता, मेहनी तमी ते थाय ॥ ला० ॥ ज० ॥ ५ ॥
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॥ ते देशनी तिलकापुरी नामनी राज्यधानीमां मदन भ्रम नामनो राजा राज्य करतो हतो. तेना शत्रु ग्रीष्म शतुमां कुवाना पाणीनी जेम पर्वतनी गुफामां जइने संताइ रह्या हता ॥ ३ ॥ तेने कमलमाला नामनी पटराणी बे, तेनी प्रशंसा करी न शकाय एवी अद्भुत बे. तेलीना शरीरनी कान्ति वर्षा तुमां प्रकाशती विजलीना सदृश बे. ॥ ४ ॥
तिलक मंजरी तेनी सुता, सुरतरू मंजरी जेम ला० ॥ कीधो बाल पणा थकी, वैष्णव मतथी प्रेम ॥ ला० ॥ ज० ॥ ५ ॥ धर्म अधर्म
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