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________________ चंदराजानो रास. २४ए चंद समो नवि को थयो रे, एहवो जूतल मांहि भूपाल ॥ गुण॥ नवमी ए चोथा उल्हासनी रे, कही मोहन विजये ढाल ॥ गु०॥प्रे० ॥१७॥ अर्थ ॥ चंदराजा सरखो श्रा पृथ्वीना तलमां बीजो कोश्पण राजा श्रयो नश्री. ए प्रमाणे चोथा उल्लासनी नवमीढाल कवि मोहनविजयजीए कही. ॥ १७ ॥ ॥ दोहा॥ एक दिन चंद नरिंदयी, करे गुह्य विमलेश ॥ कहोजी किण कीधो हतो, एम तुम कुक्कड वेश ॥१॥ केम तुमे इहां श्राव्या हता, थयो केम श्हां विवाह ॥ सांजलवा संबंध ए, डे मुज मन उबाह ॥२॥ अर्थ ॥ एक दिवस चंद राजानी साथे मकरध्वज राजा गुह्य वातो करवा बेग. विमलापुरीना स्वामिए कडं के हे जमाइराज ! आपने कुकमानो वेष कोणे प्राप्त कराव्यो ॥१॥ तमे विमलापुरी केवी रीते श्राव्या हता. वली अहींबा तमारो विवाह केम अयो. ए सर्व वृत्तांत जाणवानो मारा मनमां बहुज उत्साह ३.५ चंद कहे निसुणो नृपति, मुज विमात उरवार ॥ वधु संग लेश अंबरे, . ललकार्यो सहकार ॥३॥ कपटे हुं कोटर रह्यो, क्रमतो तरू था काश ॥ चार घडी मांहि इहां, श्राव्यां श्रमे अनयास ॥४॥ अर्थ ॥ चंदराजाए कह्यु के हे राजन् मारी उरमान मा दुःखे वारवा योग्य ले. ते पोतानी वहुने साथे लश आंबाना वृक्ष उपर बेठी अने आम्र वृहने आकाशमा उडाड्युं ॥३॥ ते वखते श्रान वृक्षना कोटर (बखोल )मां संताइ रह्यो. अनुक्रमे ते वृक्ष आकाशमा उडतुं, चार घडी मात्रमा तेनाथी अनायासे अमे वहीं श्राव्या. ॥४॥ तुम पुत्री सिंहल सुतन, तणो लगन दिन तेह ॥ मुजने हिंसके जोलव्यो, जामे परणी एह ॥५॥ शमस्याये समजी खरी, तुम पुत्री तिण वार ॥ श्रमे त्रिहुँ तरूवर चढी, पहोता आना सार ॥६॥ अर्थ ॥ ते दिवसे तमारी पुत्रीनी साथे सिंहसरायना पुत्रना लग्न अवाना हता. ते समये हिंसक मंत्रीए मने जोलव्यो. जेथी तमारी पुत्रीनी साथे में जाती परणेतर कर्यु ॥ ५॥ तमारी पुत्री श्रने मारा मेलापना प्रसंगमां में जे जे शमस्या करी इती ते सर्वे ते समजी हती. पनी अमे तो त्रणे जणां वृक्ष उपर चढी आलापुरीए पहोंच्या.॥६॥ कपट प्रगट थये जननिये, मुजने को विहंग ॥ गिरि फरसे नर पद लद्यु, थयो श्रम तुम सुप्रसंग ॥७॥ अर्थ ॥ मारूं कपट प्रगट श्रतांज मारी विमाताए मने पक्षी बनावी दीधो. ते आ गिरिराज फरसनश्री हुँ मनुष्य थयो अने आपनो तथा मारो रुडो प्रसंग थयो.॥७॥ ३२ Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.005375
Book TitleChand Rajano Ras
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShravak Bhimsinh Manek
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year1905
Total Pages396
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati
File Size17 MB
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