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________________ प्रस्तावना. सर्व दर्शनवाला ब्रह्माचर्य व्रतनी पुष्टि करे . परंतु जे प्रकारनी. पुष्टि जैनदर्शनमा प्रदर्शित करेली ते पुष्टि अन्यदर्शनीउँना ग्रंथो अवलोकन करतां नाग्येज दृष्टि पथे आवशे. बाह्यथी ब्रह्मचर्य तथा अन्यंतरथी ब्रह्मचर्य शुं शुढे ते अन्यमतियो जाणवानेज असमर्थ . तेवी समजण सर्वज्ञ प्रणीत ज्ञानना जाणपणा शिवाय प्राप्त थई शकतीज नथी. चंदराजाना रासमां ब्रह्मचर्य व्रतनी अनुपम पुष्टि बे. कवि मोदन विजयजी महाराजे था रासनी जे रचना करी तेमां पदनी लालि त्यता, अर्थनी गौरवता. ऊमऊमक विगेरे एवी तो सुंदर रीते बतावेल बे के वांचनारने वारंवार अमुक ढालो वांचता हर्ष उत्पन्न थाय जे. जे जे स्थले जे जे रसमय रचनानी श्रावस्यकता लागी ते ते स्थले ते ते रसनुं पोषण करवामां कोपण प्रकारनी खामी राखी नथी. विद्यावृद्धि ना था नवा जमानामां कविताना तथा गद्य रचनाना ग्रंथना होंशीला वाचक सजनो या ग्रंथने पोताना हाथमांथी पण वाचता वाचता बोमता नथी. था ग्रंथ जो के गुजराती भाषानी पद्य रचनामां रचायेलो तो पण तेमां केटला एक स्थले कवितानो नाग वाचक वर्गने कठिन लागवाथी केटलाएक गृहस्थो तरफथी तेनुं सरल गुजराती भाषांतर करावी भाषांतर सहित मूल रास बपावी प्रसिक करवामा श्रावशे तो वांचनाराऊने बहुज लानकारक थशे एवी सूचना वाली मागणी थतां था ग्रंथ श्रमोए संक्षिप्त गुजराती भाषांतर सहित प्रसिद्ध करेल . जेथी वांचक वर्गने लोन मलशे तो श्रमे अमारो प्रयास सफल थयो मानीशं. था ग्रंथमां मतिदोषथी कां पण नूल चूक थर होय तेने माटे वाचक सङनोनी क्षमा मागी मिठामि मुक्कम चाहीए बीए. मुंबई संवत १ए६१ नीमसिंद माणक माहा सुद ५ नाणजी माया. ली. Jain Education International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.005375
Book TitleChand Rajano Ras
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShravak Bhimsinh Manek
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year1905
Total Pages396
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati
File Size17 MB
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