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________________ चंदराजानो रास. ॥ दोहा॥ एह विहंग राजा ग्रही, श्राजापुरथी स्वाम ॥ घणे हेजे चाख्या अमे, देश विदेशे ताम ॥१॥ एम करतां वरसे नवे, आव्या तुम दरबार ॥ संदेपे तमने कह्यो, पंखीपति अधिकार ॥२॥ अर्थ ॥श्रा पक्षीराजने ग्रहण करी हे राजन्! अमे आनापुरीश्री बहु हर्ष सहित प्रयाण कर्युः अने देश परदेश करवा लाग्या ॥१॥ए प्रमाणे फरता फरतां नव वरसे तमारा दरबारमा आव्या. आ संदेपथी ते पक्षी राजनो वृत्तांत आपने विदीत को. ॥२॥ मकरध्वज सुप्रसन्न थयो, पाम्यो चंद उदंत ॥ तेम हरखी अति प्रेमला, नाम सुणीने कंत ॥३॥ कयौं घणो विमलेसरे, कुर्कट उपर प्रेम ॥ पण नृपचंद न उलख्यो, पंखी वेशे एम ॥ ४ ॥ अर्थ ॥ मकरध्वज राजा चंद राजानो वृत्तांत सांजली बहुज खुशी थयो. तेवीज रीते प्रेमलालबी पण पतिनुं नाम सांजली हर्षवंत थइ ॥ ३॥ पजी विमलेश्वरमकरध्वज राजाए कुकमा उपर अत्यंत स्नेह धारण कर्यो; परंतु पक्षी वेशे होवाथी आ चंदराजा ने एम उलखी शकयो नहीं. ॥४॥ नट नरपतिने विनवे, तुज चरणे महीपाल ॥ रहीये पावसरूतु शहां, जो अनुमति सुविशाल ॥ ५॥ रहो सुखे नूपति कहे, करशुं गोष्टि सदैव ॥ तुमथी वली कुर्कट थकी, प्रेम विलुको जीव ॥६॥ अर्थ ॥ पनी शिवकुमर नटे राजाने विनंति करीके हे राजन्! आपनी पवित्र आज्ञा होय तो वरसा ऋतुमां आपनी बायामांज अमे रहीये ॥५॥ मकरध्वज राजाए कह्यु के हे शिव कुमर ! तमे सुखेथी रहो. तमारी साथे निरंतर गोष्टी करशुं. कारणके तमारी साथे अने कुकडानी साथे श्रमारो प्रेम संबंध थयो ..॥६॥ नृप आदेशे नगरमां, रह्या नट लेश श्रावास ॥ गीत गान नित प्रति करे, ते नट कुर्कट पास ॥७॥ अर्थ ॥ राजानो हुकम लइ नटो नगरमां आवास लइ रह्या. तेढ निरंतर कुर्कट रायनी पासे मुजरो करे . ॥ ७॥ ॥ ढाल जी॥ ॥ साहेलमीरे श्राज धरा हुश्रो धुंधलो हो लाल ॥ ए देशी ॥ एक दिन प्रेमलाने कहेहो लाल, तात तेडी श्रासन्न मन मोहना रे ॥ ताहरूं कहुं हुं न मानतो हो लाल, पण हवे मान्युं मुज मन्नामा॥ कर्म करे ते न करे कोश हो लाल, सुख उःख कर्म प्रमाण ॥ म० ॥ कर्ता कर्म कह्यो खरो हो लाल, धन धन श्री जिन जाण ॥मणाक॥२॥ Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.005375
Book TitleChand Rajano Ras
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShravak Bhimsinh Manek
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year1905
Total Pages396
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati
File Size17 MB
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