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________________ २०ए चंदराजानो रास. अर्थ ॥ कुकडानोस्वर काने सांजलतांज तत्काल घोडा उपर स्वार अश्लीलाधरे परदेश जवा प्रयाण कर्यु. ॥ १ ॥ तेने रोकी राखवाने घणोज प्रयास कर्यो परंतु मुहूर्त्तनो वायदो पुरो अवाश्री ते रह्यो नही. लीलावतीना अंतःकरणमां तेनुं हेत बहुज खटक्या करतुं हतुं. ॥२॥ कुर्कट स्वर पियुने थयो, जेम मीगे पियुख ॥ पण मंत्री पुत्री जणी, खरो हालाहल चूख ॥३॥ मुराणी धरणी ढली, प्रीतम . उणे विद्रोह ॥ कणमे पामी चेतना, पमी विरहनी खोह ॥४॥ अर्थ ॥ कूकडानो स्वर लीलाधरना अंतःकरणमां अमृत समान लाग्यो परंतु लीलावतीने तो ते हाला हल फेर समान खरेखरो भई पड्यो. ॥३॥ पतिना वियोगश्री तत्काल मूळ आववाथी जमीन उपर ढली पडी. पी. उपचार करवायी थोडी वारमा सचेतन अश् परंतु विरह वेदनानी चरेडी अंतःकरणमां पडी. ४ - राख्यो केणे कुकडो, कर्यो श्रहितनो नेह ॥ विहि केम सरज्यो .. पंखीयो, मित्र विडोदक एह ॥५॥ कोण एदवो नगरमां, धीगे था गंग॥ नूप तणो जय नवि गण्यो, उजण जण उद्धं ॥६॥ • अर्थ ॥ अहितनो करनारो एवो श्रा कूकडोते कोणे राख्यो हशे, हे विधि! मारा पतिनो वियोग करावनार ए पदी तें शामाटे उत्पन्न कर्यु, ॥ ५॥ आ नगरमां एवो आवे गांठे उच्चत्त कोण पुरुष ने के जेणे राजाना जयने पण लेखामां गण्यो नही. ते कोइ महा पुर्जन अने उठ . ॥६॥ लीलावतीए तातने, जाख्यो पति उदंत ॥ श्राणी आपो कुकमो, तेमुजने धीमंत ॥७॥ अर्थ ॥ पनी लीलावतीए पोताना पिताने पतिना गमन संबंधी सर्व वृत्तांत कह्यो भने कयुके हे बुद्धि शाली पिता! ते कूकडो मने लावी आपो. ॥ ७॥ ढाल २७ मी. ॥ कंकणो मोल ली ॥ ए देशी॥ मंत्री पुत्री कह्या थकी रे, सुरिजन, करवा कुर्कट शोध, पंखी गुण र सियो ॥ पुरमा सेवक पाठव्या रे ॥ सु० ॥ स्वामी धरमीयोध ॥ प०॥ जे सुगुण नरनारी, तेदने मन वसियो ॥ ए आंकणी ॥१॥ जो का ढयो पंखीयो रे, ॥ सु० ॥ नटना पटकुटमांहि ॥ ५० ॥ दासे सचिवने विनव्युं रे, ॥ सु॥ विहंग संबंधी सोडाह ॥ पं० ॥ जे० ॥२॥ अर्थ ॥ मंत्रीनी पुत्रीना अर्थात् लीलावतीनां वचनथी तेना पिताए ए कूकडानी शोध करवामाटे पोताना सेवकोने नगरमा मोकट्या. ( कवि कहे के कूकडो गुणनो रसिक होवाश्री तेना गुणने जाणनारा स्त्री पुरुषना मनमां ते रमी रह्यो बे.)॥१॥ मंत्रीना सेवकोए आवीने तेने कझुके ए पहीनो पत्तो लाग्यो बे. जे नटो अहीं श्राव्या ने तेउना संगाश्रमांते जे. एवी रीते पक्षी संबंधी उत्साही वात कही.२ २७ Jain Education International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.005375
Book TitleChand Rajano Ras
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShravak Bhimsinh Manek
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year1905
Total Pages396
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati
File Size17 MB
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