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________________ चंदराजानो रास. खबर करी तत्खेव पद्मशेखर नणी ॥ ललना ॥ बे श्राजापुरी मांदेके पुत्री तुम ती ॥ ० ॥ वहेला मलवा काजके राज पधारजो ॥ ० ॥ प्रे वचन मन आणिके लाज वधारजो ॥ ल० ॥ १ ॥ जानगरीमां अर्थ ॥ तत्काल ते राजकन्याए पोताना पिता पद्मशेखरने खबर करी के, तमारी पुत्री d. मा मलवाने वेला पधारजो, अने मनमां विवेक वचन लावीने आपनी लाज वधारजो ॥ १ ॥ तातथी मलवा काज जाणी सुता श्रातुरी ॥ ल० ॥ पद्मपुरीपति तुरत व्याजापुरी ॥ ० ॥ श्रादरदे वीरसेन मल्या हेजे घणे ॥ ल० ॥ चंद्रावती संबंध सयल मांडी कह्यो || ल० ॥ २ ॥ अर्थ | पोतानी पुत्री पिताने मलवाने घणी आतुर ने एम जाणी पद्मपुरीनो पति पद्मशेखर राजा तत्काल श्राजापुरी मां श्राव्यो. राजा वीरसेन घणा आदरथी अने हेतथी तेने मध्यो. पनी तेणे चंद्रावतीना संबंधन सर्व वृत्तांत कही संजलायो ॥ २ ॥ अति उबरंगे उढंग धरी निज बालिका ॥ ल० ॥ तातें प्रकाशी प्रगटके हित परनालिका ॥ ल० ॥ पद्मशेखर करजोडी कहें वीरसेनने ॥ ० ॥ ए मोहोटो उपगार श्रमने तुमे कर्यो ॥ ० ॥ ३ ॥ अर्थ | पी राजा पद्मशेखरे पोतानी बालिकाने हर्षथी उत्संगमां बेसारी ने अतिशे अंतरना तनी परनालिका प्रगट करी बतावी ने पी पद्मशेखरे हाथ जोडी वीरसेनने कयुं के, तमे अमारो या मोटो उपकार कर्यो बे ॥ ३ ॥ १३ तमगुण अपरंपार के केम जणीजीयें ॥ ल० ॥ ए कन्या शिरताज के राजपरिपीजीयें ॥ ० ॥ धूरथी निमित्त वचनथी एह तुम गेहनी ॥ ल० ॥ मानी वचन महाराज राखो रीत ते नी ॥ ल० ॥ ४ ॥ अर्थ ॥ हे राजा, तमारा अपरंपार गुणो बे, तेनो बदलो केवी रीते यापी शकाय, पण हे मुगटधारी राजा तमे या कन्याने परणो. आजथी या बाला वचनथीज तमारी स्त्री थई चुकी बे. मारूं वचन स्वीकारी तेनी रीत राखो, एटले तेनी टेक राखो ॥ ५ ॥ लग्न लेवामी शुद्ध तुरत परणावीया ॥ ल० ॥ शशिवदनी मृगनयणीयें सोहला गावीया ॥ ल० ॥ वीरमतीविण नगरवासी सवि दरखिया ॥ ० ॥ वाला घर ससनेह तथा मेद वरषीया ॥ ल० ॥५ ॥ ॥ पी राजा तुरत लग्ननो शुद्ध दिवस नक्की करी ते बन्नेने परणाव्यां. ते प्रसंगे चंद्र जेवा मुखवाली मृगनयणी सुंदरीउंए मंगल गीत गायां. मात्र एक राजानी राणी वीरमती शिवाय नगरना बधा amite पाया. स्नेही संबधीना घरमा स्नेहना मेघ वर्षवा लाग्या ॥ ५ ॥ पद्मशेखर परणावी इम निज अंगजा ॥ ल० ॥ निज नगरे गयो ता ते नृपनी लेइ रजा ॥ ल० ॥ चंद्रावती थी वीर नृपति सुख जोवे ॥ ० ॥ दिन दिन नवले नेहशुं दीदां जो गावे ॥ ० ॥ ६ ॥ Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.005375
Book TitleChand Rajano Ras
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShravak Bhimsinh Manek
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year1905
Total Pages396
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati
File Size17 MB
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