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________________ चंदराजानो रास. १ए नजर नरी जुए, गयो अलगो लोपी सीम ॥ वा ॥ थामा तरू श्राया घणा, पामी मुराये हित नीम ॥ वा० ॥ वी० ॥ १६॥ अर्थ ॥ ए प्रमाणनो ढोल सांजली गुणावली सातमा माल उपर चडी. तेणी ए नाटकीयाने जाता दीग श्रने एकना मस्तक उपर पांजरूं दी ॥ १५॥ गुणावली नजर खेंचीने पांजरा तरफ जोया करे ले एटलामां तेढ सिमाडो गेडी चाट्या. वली घणा मोटा वृदो पण आडा श्राव्या एटले पांजरू न देखांता ते मूर्ग खाइने पडी. ॥१६॥ शीतल पवन प्रयोगथी, लही चेतना सखी उपचार ॥ वा ॥ सम जावी श्रावी मंत्रीए, राणी समऊ मनह मकार ॥ वा० ॥ वी० ॥१७॥ श्रावी वीरमती कहे, बहु थयो निःकंटक गेह ॥ वा० ॥ गयो कुर्कट ते नली थर, हवे जो तुं तुज मुज नेह ॥ वा ॥ वी० ॥ १७॥ अर्थ ॥ सखीए शीतल पवनोपचारथी अने बीजा प्रयोग करी सावधान करी. त्यार बाद मंत्रीए श्रावी ने समजाववाथी गुणावलीए मनमां समजण धारण करी ॥१७॥ थोडा वखत पनी वीरमतीए आवी कह्यु, हे वहु! हवे तमारूं घर निष्कंटक थयु. कुकडो गयो तेज सारूं श्रयुं. हवे तमारो अने मारो स्नेह केवो जामे मे ते जो जो. ॥१७॥ अवसर चतुर गुणावली, करे हाजी हाजी सुविशाल ॥ वाण ॥ त्रीजा उवासनी मोहने, कही बावीशमी ए ढाल ॥ वा० ॥ वी० ॥१॥ अर्थ ॥ समयनी जाण गुणावली, वीरमतीने संपूर्ण रीते हाजी हाजी करवा लागी. वीजा नहासनी मोहन विजयजी ए आ बावीशमी ढाल कही. ॥ १० ॥ ॥दोहा॥ जेम जेम प्रितम सांजरे, तेम तेम हृदय मोकार ॥ धखे विरह पावक प्रबल, बांसु धार अपार ॥१॥ जे देशे सजन वसे, ते दिशि तणो पवन्न ॥प्रीतम तनु फरसी करी, फरसो माहरु तन्न ॥२॥ अर्थ ॥ अहीं गुणावलीने जेम जेम पोताना स्वामिनाथ याद आव्या करे ने तेम तेम हृदयमां प्रबल विरहानि धखवा मांड्यो अने नयणे आंसुनीधारा अपार वेहेवा मांडी ॥१॥ ते श्ववालागीके जे देशमा मारा नाथ होय ते दिशा तरफनो पवन मारा पतिना शरीरने फरसी पी मारा शरीरने फरसजो. ॥२॥ थरे प्राण प्राणेश विण, रहेशो केवे ढंग ॥ गमन शील तुम धर्म बे, केम न गया पियुं संग ॥३॥ किहां कंत किहां नवल रस, किहां सुरंगो नेह ॥ बाजी बाजीगर तणी, थ ग को एह ॥४॥ अर्थ ॥ हे मारा प्राणो! तमे मारा प्राणनाथ गया बतां हवे केवी रीते रही शकशो. तमारो स्वन्नावज जवानो . तेथी तमे मारा प्राणनाथनी साथे केम न गया? ॥३॥ मारो स्वामी क्यां, नवनवा रस क्या, उत्तम रंगवालो स्नेह क्यां? आ तो जाणे सघली बाजीगरनी रमतज अश् होयनी तेवू अयु.॥४॥ Jain Education International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.005375
Book TitleChand Rajano Ras
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShravak Bhimsinh Manek
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year1905
Total Pages396
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati
File Size17 MB
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