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________________ चंदराजानो रास.. १६ए थाना जस अलखामणी, यमपुर वहन जास ॥ ते अनमी था सुखे, एम कहो वचन प्रकाश ॥३॥ मंत्रिए फेर्यो पडह, वीरमती श्रादेश ॥ नगरी जन निसुणी कहे, अश् अश् अयं विशेष ॥४॥ अर्थ ॥ वली एवी रीते उद्घोषणा करावोके जेने बालानगरी अलखामणी लागती होय अने यमपुरी वहाली लागतीहोय ते वीरमतीने नहीं नमतां सुखी रहे, होय तो जले आडाइ करो. ॥ ३ ॥ मंत्रीए ज्यारे वीरमतीना हुकमथी श्रावो पडह वजडाव्यो त्यारे नगरनां लोको आश्चर्य पामी बोलवा लांग्याके आतो वली नारे नवा लागे. ॥४॥ नारीपति नर सांजल्या, नरपति नारिविहीन ॥ ए तो अचरिज सां जत्यु, थानामांहे नवीन ॥ ५॥ स्त्रिया राज्य नगरी थयुं, किहां नर गया विजेद ॥ पडह सुणीने सकलजन, चित्तमां पाम्या खेद ॥६॥ अर्थ ॥ पुरुषना स्वामी स्त्री होय एवं तो सांजलवामां श्राव्यु नश्री; अने तेवीरीते पुरुषना स्वामी स्त्री श्रयानु आश्चर्य तो मात्र श्राला नगरीमांज सांनट्यु.॥ ५ ॥ शुं पुरुषोनो नाशश्रयो के आ नगरीमा स्त्री राजा अयो? आवो पडहो सांजलीने नगरना सर्व लोको मनमां बहुज खेद पाम्यां. ॥६॥ वीरमतीना जयथकी, सघले कर्यु प्रमाण ॥ राज शछि एम जो गवे, राणी श्रमली माण ॥॥ वचन नलोपी को शके, शुरा कोण सामंत ॥ ते संजारे चंदने, रूट्यो जास कृतंत ॥ ७ ॥ अर्थ ॥ वीरमतीना त्रासथी सर्व लोकोए मंत्रीनी उद्घोषणा मान्यकरी. हवे राणी पोताना अमलमां मस्त रहेली राज्य वैनवनो उपलोग करे . ॥ ७॥ वीरमतीनी आज्ञा कोइपण खोपी शकतुं नथी. पनी जले ते शुरवीर योधो होयके मोटो सामंत होय ! अने जे चंदराजाने कदापि याद करीदे तो तेनो तो कृतांत जे काल ते कोप्योज समजवो. ॥ ॥ ॥ढाल १५ मी॥ ॥ण पुर कंबल को न लेशे ॥ ए देशी॥ राणी मंत्री उपर हरखी, जाएयु जोडी मिली मुज सरखी ॥ जेम हुँ गाउं तेम ए वजावे, चंद एणे करी मुक्यो मावे ॥१॥ एक दिन सुमति धरीमन गगो, वीरमतीथी वाते लागो ॥बाजी तमे राज्य सुधार्यो, चंद तणो वारो विसार्यो॥२॥ अर्थ ॥ वीरमती राणी मंत्री उपर अत्यंत प्रसन्न श्रइ. तेणीए जाणी लीधुं के जेवी जोइए तेवी जोडी मली गइ . हुँ जेम गाउं बु तेमज ए वगामे . अर्थात् मारा हुकमने अनुसरतुंज कार्य करे जे. एटझुंज नहीं पण चंदराजा संबंधी वात पण उचारतो नथी. जाणे चंदने डाबो करी मुक्यो होय नही॥१॥ एक दिवस सुमति प्रधान गवको अश् वीरमती साथे वातो करवा बेरो. हे राणीजी ! तमेतो राज्यनी एवी सुधारणा करी के कोइ चंदने संजारतुंज नथी.॥२॥ २२ Jain Education International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.005375
Book TitleChand Rajano Ras
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShravak Bhimsinh Manek
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year1905
Total Pages396
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati
File Size17 MB
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