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तृतीय उवास. अर्थ ॥ में कुंवरने दीगे नथी तेथी तेनु केवु स्वरूप ने ते हुं शुंजाणुं. ? हे नाथ ! तमारी आगल जेवू बन्यु ने तेवुज कहुं बु. हुं आपनी चाकरीनो चोर थयो बुं ते माटे गुन्हेगार K. राजाए खरो मर्म जाणी लीधो अने निश्चय कर्यो के आ पोतानी वातमां लथड्यो अर्थात् जूगे लागे जे. ॥ ३ ॥ हवे बीजो मंत्री जनो श्र राजाने अरज करवा लाग्यो के हुँ आपनी पासे जुतुं बोलीश नहीं. सत्य कहीश. सर्प बहार वांको चाले के परंतु दरमां तो सिधोज चाले जे. आपनी पासे जूनो होय ते साचो केम थश्ने चाली शके? ॥४॥
पेहेलां दिन- अपक्व जोजन मुजने थयो॥ सा॥ विवाह श्रव सर देह चिंताए हुँ गयो ॥ सा ॥ पुंठल मेव्यो विवाह श्रावु फरी जेटले ॥ सा ॥ मारीन जोश्वाट टुंगणती केटले ॥सा ॥५॥ कालो गोरो कुंवर में तो दीगे नही सा॥ मारा मननी होंश तेम नमांदे रही ॥ सा ॥ निसुणी वचन नरिंद संशयमांहे पडयो
॥ सा ॥ जाएयु ए पण डिंगमोले डे अणघड्यो॥ सा ॥६॥ अर्थ ॥ प्रथमने दिवसे में खाधेलं ते अजीर्ण अवाथी वेशवाल करवाने समये हुँ जंगल जवाने गयो. हुँ जेटलामा श्रावी पहोंचं खं तेटलामां मारी पाउल तेजए वेशवाल करी दीधुं. मारी राह पण न जोइ. ९ तेउनी शुं गणतीमा ? ॥ ५॥ए कुंवर कालो के के गोरो ते कांइपण दुं जाणतो नथी. मारा मननी होंश मारा मनमांज रही जे. बीजानी वात सांजली राजा संशयमां पड्यो अने तेणे विचार कर्यों के आपण अएघड ने अने डिंगमारे ने अर्थात् साचुं बोलतो नथी. ॥६॥
त्रीजो बोल्यो प्रधान कपटश्री जांचलो ॥सा॥ मारी विनती एक प्रजुजी सांजलो ॥सा॥ मेट्यो जाम विवाह पासे ढुंपण न हतो ॥ कीधो नही थम श्रागल कुंवरने बतो ॥ सा ॥७॥ सिंहल नृपनो नाणेज ते ऽहवाणो हतो॥सा॥ कयु मुजने तुं राख जश् एहने जतो॥ सा० ॥ में पण जेम तेम तेदने नूपति नोलव्यो
सा ॥ श्रावी जोडं कुंवर विवाह तो मेलव्यो ॥ सा० ॥ ७ ॥ अर्थ ॥ कपटथी केलवायेलो त्रीजो प्रधान बोटयो के हे राजन्! मारी विनंति ध्यान दश्ने लदमा ट्यो. ज्यारे वेशवाल कर्यु त्यारे दुं पासे न हतो. मारी आगल कुंवरने उतोज कर्यो नश्री, अर्थात् कुंवरने मने देखाड्योज नथी. ॥ ७॥ सिंहल राजानो नाणेज रीसायो हतो अने ते नागी जतो हतो तेथी मने कह्यु के तमे त्यां जश् तेने रोकी राखो. में पण हे राजन् ! तेना लाणेजने समजावी जेम तेम करी रोकी राख्यो अने पालथी श्रावी तपास करुं तो वेशवाल श्रयेलुं मालम पड्यु.॥७॥
में नवि निरख्यो कुंवर कांणो के कूबडो॥ सा ॥ चूक्यो अवसर एह गुन्हेगार हु वमोसा॥ विण दी। तुम पागल केम दिगे कहुं॥ सा० ॥ हुँ तो स्वामी तादरी बत्र बायामां रहुं ॥सागाए॥
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