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________________ एस द्वितीय उवास अर्थ ॥ में सिंहख राजाने कां, हे स्वामी! तमारो कुमार कर्मना वशयी कुष्टी ने. पण ते हजी कोना जाणवामां नथी. आ संसारमा जूठी वात मीठी खागे . ॥१॥ संपत्तिनुं मूल जूनमा ने. जूतथी कोट पलटाइ जाय . अने जे प्रतिकूल होय ते पण जूतथी वश थ जाय ॥२॥.. हो० ॥ एता दीह जे जुरे ॥ राख्यो सुत शे काज ॥ जूतो मूलथी एडवो ॥ करवो न हतो महाराज ॥ मी० ॥३॥ हो० ॥ बीहो जो जूठ थकी हवे, ए शो बालक खेल ॥ दीहां जिहां लगे पापरा, तिहां लगे रूपारेल ॥ मी० ॥४॥ अर्थ ॥ हे महाराज!श्राटला दिवस सुधी कुंवरने जोयरामां केम राख्या? मूलथी ए जूलाइ करवीज नहती.॥३॥ हवे तमे जूतथी बीहो बगे ए केवी वात कहेवायी श्रावो बाखकनो खेल केम करो गेज्यां खगी पाधरा दिवस होय त्यां खगी रुपारेख होय ॥४॥ हांग ॥ आव्या जे परदेशथी, मोटी राखीजी चाह ॥ राजिंद केम न कीजीये, मन गमतो विवाह ॥मी०॥५॥हा॥ कुल देवी श्राराधशु, करशुं पुत्र निरोग ॥ हीयडाथी रखे हारता, मेलशुं सर्व संजोग॥ मी०॥६॥ अर्थ ॥ हे राजेंज ! जे मोटी चाहना राखी परदेशी श्रहिं आव्या ने, तेमना मनने गमतो विवाह केम न करीए. ॥५॥स्वामी, श्रापणे कुखदेवीनी आराधना करीशुं अने पुत्रने निरोगी करीशं. रखे हृदयमां हारी जता. सर्व संयोगने मेलवशु.॥६॥ हांाचोरीये नर जे पेसशे,राखशे तेहनी सार॥ कोडी एकनी शोचना, राखशोमां वसुधार ॥ मी०॥७॥ हां०॥ सिंहसराय सुणी श्स्युं, मुजने ढाली शेष ॥ जोगव तुं ताहरु कयु, हुं न लहुं लवलेश ॥ मी० ॥७॥ अर्थ ॥ हे पृथ्वीपति ! जे माणस चोरी करवा पेशे ते तेनी (पोतानी) सारवार राखे . तमे एक कोमी मात्रनी शोचना राखशो नहीं. ॥७॥ सिंहलराजाए ते सांजलीने मने कह्यु के, हे मंत्री | तुं तारं कर्यु लोगव्य. हुं तेमा लव खेश जाग सहीश नहीं. ॥७॥ हां॥श्म कहितां तिहां वीया,ते चारे मंत्रीशासिंहल नूपने विनव्यु, सुण यवनीना ईश ॥ मी० ॥ए॥ हां ॥ वातडीये विरमाविया, अमने एता दीह ॥ जोरे प्रीत बने नहीं, रे क्षत्रीवर सिंह ॥मी०॥१०॥ अर्थ ॥ एम कहेता त्यां चारे मंत्री श्राव्या. तेए सिंहलराजाने विनंति करी के, हे पृथ्वीपति, श्रमारी एक अरज सांजसो. ॥ए॥ अमोने आटला दिवस वार्ता करतांज वीतावी दीघा. हे क्षत्रिय सिंह, बखाकारे प्रीति थाय नहीं. ॥१०॥ हांगा बीजी को कन्यका,परणशे तुमचो पुत्र ॥ तो अमे चोरी शी करी, श्यों उलव्यो घर सूत्र ॥ मी॥११॥ हांगा नृप सुतने नृपनी सुता, परणे एह प्रतीत ॥ ते तो तुमे करता नथी, नवली जगमा रीत ॥ मी० ॥१२॥ अर्थ ॥ ज्यारे तमारो पुत्र को बीजी कन्या परपशे, तो श्रमे शी चोरी करी अने कोघरसूत्र बगा Jain Education International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.005375
Book TitleChand Rajano Ras
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShravak Bhimsinh Manek
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year1905
Total Pages396
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati
File Size17 MB
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