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________________ ६७ द्वितीय उदास. - अर्थ ॥ अहीं अमाराथी जे बने ते आदर मानी लेजो.उर्बल माता पोताना बालकने मात्र हुलामणाथी प्रेमनो व्यवहार करे .॥ ७ ॥ हाथी अश्व विगेरे वाहनोथी तमे मोज करोगे तो अमे तमने शुं आपीए के जेथी तमे रीझाइ जाउं? ॥ ७॥ सा तमे पाउ धार्या होत जोरे,श्रम तणे देश कदेयरे लाल॥तो नजरे करता अमे रे,गाम नगर पुर केयरे लाल ॥नापासा श्रमे अवसर चूकू नहीरे,रखे श्रम जाणता मूढरे लाल ॥ श्हां तमे अमे बेहु सारिखारे, कहीये जे तमने अगूढरे लाल ॥१॥ __ अर्थ ॥ जो तमे अमारा देशमां कदि चरण पधराव्या होत तो अमे तमने गाम, नगर के पुर क्यारना नजर कर्या होत. ॥ ए॥ अमे हवे अवसर चुकीशुं नहीं, रखे तमे अमने मूढ जाणता, अहीं तमे अमे सरखा बीए. आ वात तमने खुले खुसी कहीए बीए. ॥ १० ॥ सा एहवा सिंहल रायनारे, निसुणी वचन विलासरे लालचंद वदन थकी कर्यो रे,दंत मयुष प्रकाशरे लालाना॥११॥साप चंद जरोसे मुझनेरे, एवडं शुं सन्मानरे लाल ॥ तूं परदेशी पाहुणोरे, तमे मोटा राजान रे लाल ॥ ना० ॥ १५ ॥ अर्थ ॥ सिंहल रायना श्रावा वचन विलास सांजली, चंदराजा पोताना मुखमांथी दांतना कीरणोने प्रकाश करता बोट्या.॥११॥ मारी उपर चंदराजानो नरसो राखी आटर्बु बधु सन्मान शुं आपोगे? हुं एक परदेशी मेमान लु अने तमे मोटा राजा बगे. ॥१५॥ सा चतुर थई चूको करुंरे,खोटे नरमे सुजाण रे लाल ॥ शी मनुहार ए कारमीरे, कुण दिननी जलखाण रे लाल ॥ना॥१३॥सा चंद पूरव दिशानो धणी रे,हुँतो क्षत्री पुत्ररे लाल ॥ देखी पेखी विण स्वारथेरे, किम कहिये उत्सूत्ररे लाल ॥ना॥१४॥ अर्थ ॥ हे राजा, तमे चतुर अने सुज्ञ था केम चुको बो? आ खोटो चूम ले. तमारे अने मारे कया दिवसनी उलखाण? ते विचारो.॥ १३ ॥ चंदराजा पूर्व दिशानो स्वामी ने, हूं तो एक क्षत्रिय पुत्र बु, स्वार्थ वगर देखी पेखीने शामाटे खोटुं बोलीए? ॥ १४ ॥ सा दीठो तमे चंद सारिखोरे,मुक मांहे अनुसाररे लाल॥ ते नूले नूलो खरे रे, सरिखा केई संसाररे लालाना॥१५॥साराचे गुण जाण्या विनारे,सरिखासरिखे कुण रे लाल॥बेहु उज्ज्वल पण सांजलोरे,कपुर किहां किहां गुणरे लाल ॥ ना॥१६॥ अर्थ ॥ तमे मने चंद जेवो देखो बगे, मारामां तेना जेवो अनुसार (अणहार) हशे. रखे तमे चुलोगे. श्रा संसारमा कश्क सरखे सरखा मली आवे . ॥ १५ ॥ गुण जाण्याविना सरखे सरखा जोश्ने कोण राजी थाय? जुवोने कर्पूर अने लुण बने उजलां वे पण गुणमां केटलो फेर बे? ॥ १६॥ सा मूकी द्यो नोलामणीरे, कहे सिंहल महीपालरे लाल ॥ मोहन विजये त्रीजी कहीरे, वीजा उल्हासनी ढालरे लाल ॥ ना ॥ १७ ॥ अर्थ॥हे सिंहल राजाए कह्यु,आq नोलपण मूकीद्यो.मोहनविजये था बीजा नलासनी त्रीजी ढाल कही. १७ Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.005375
Book TitleChand Rajano Ras
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShravak Bhimsinh Manek
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year1905
Total Pages396
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati
File Size17 MB
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