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________________ ( ए) पजी॥१७॥कनकर ॥ चीतारी नृपर्नु चित्त चोरी, पोहोती निज अावासजी ॥ रायतणे चित्त चटपट लागी, प्रेमबंधन मृगपासजी ॥ १७ ॥ कनक ॥ चित्रांगद चीतारा पासें, मंत्री मूकी रायजी ॥ कनक मंजरी कन्या मागी,तुं मुजने परायजी॥१॥क नक०॥ढं निर्धन तूं बत्रपति राजा, केम थाये वि वाहजी॥राजा श्राप दियां धन बला,चित्रकर थ यो उत्साहजी॥२०॥कनकम्॥ गुन मुहूर्ते ते परण्यो राजा, कनकमंजरी नारजी॥ मोटो मोहोल दीयो र हेवाने,बदु दासी परिवारजी॥॥१॥ कनकरा जाने बहु थपबरा सरखी, राणीरूप निधानजी ॥ थाप आपणे वारे यावे,नृपमंदिर बहुमानजी २२॥ कनक० ॥ तिणे रातें वारो निवास्यो, नवपरणोतने दीधजी॥ करी शणगार गई पियु पासे, दासी साथें सीधजी ॥ २३॥ कनक ॥ राजाने राणी बेदु म लियां, हरख अपारजी॥ समय सुंदर कहे ढाल नपीए, बीजीबद्ध विस्तारजी॥ २४ ॥ कनकम् ॥ ॥ दोहा ॥ पूर्व संकेतें मदनिका, प्रश्न करे बहुमान ॥ स्वा मिनीयचरिज सारिखं, कहो को मुज पाख्यान॥१॥ Jain Educationa Intemational For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.005374
Book TitleKarkanduadik Char Pratyek Buddhno Ras
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShravak Bhimsinh Manek
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year
Total Pages104
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati
File Size7 MB
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