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(७३) करें विहार ॥॥मु०॥ विमलनाथ प्रसादथी॥०॥ श्रीनग्रसेन पुरमांहे।मु०॥ गिरु गब खरतर तो ॥ खर०॥ दिन दिन अधिक उजाह ॥शमु॥ युगप्र धान गुरु राजिया।गु०॥ श्रीजिनसिंह मुलिंद ॥१०॥ सकलचंद सुपसाचलें ॥सु०॥ मुझ मन परमाणंद ॥४॥ मु॥त्रीजो खंम पूरो थयो॥पू०॥नमिराजा अधिकार।मु०॥ सत्तर ढाल सोहामणी ॥सो०॥ समयसुंदर सुखकार ॥ मु०॥५॥ इति श्रीनमिराजा प्रत्येक बुदरासनामा तृतीयः खंमः संपूर्णः ॥ ३ ॥
॥ अथ निग्गइ नाम चतुर्थ प्रत्येक बुद्ध चरित्रे चतुर्थः खंमः प्रारन्यते॥
॥ दोहा ॥ ॥सीमंधर स्वामी प्रमुख, विहरमान जिनवीश ॥ ज्ञानदिवाकर दीपता, चरण नमुं निश दीस ॥ १ ॥ वली प्रणमुं असिथासा,मूलमंत्र नवकार ॥ धरणी घर पद्मावती, सुरपद पाम्यो सार ॥२॥ शत्रुजो गिरि नार गिरि,श्रीय समेत गिरिंद॥थाबू अष्टापद नमुं,ए तीरथ थाणंद ॥३॥ दान शीयल तप एत्रणे,नाव मले
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